पुलिस को दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्याओं में कहीं कोई संबन्ध दिखाई नहीं दिया। आज जब यह राज़ खुला कि आत्महत्या के समय दिशा सालियान के बदन पर कपड़े नहीं थे, तो बेचारी मुंबई पुलिस की मासूमियत पर और भी प्यार आया। मुंबई पुलिस के अधिकारियों को इसमें कुछ संदेहास्पद नहीं लगा कि एक लड़की आत्महत्या करने से पहले अपने कपड़े क्यों उतारेगी। ज़ाहिर है कि उसका उद्देश्य गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में अपना ना दर्ज करवाने का तो नहीं ही रहा होगा।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत एक ऐसा पिटारा बनती जा रही है जिसमें से हर रोज़ कुछ नये राज़ निकल कर सामने आ खड़े होते हैं। लगभग दो महीने बाद भी मुंबई पुलिस ने अब तक कोई एफ़.आई.आर. दर्ज नहीं की है। बिहार पुलिस के पास एफ़.आई.आर. दर्ज भी हो चुकी है और उन्होंने मुंबई पुलिस द्वारा सहयोग ना मिलने पर मामला सी.बी.आई. को सौंप भी दिया है।
सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद पुलिस ने वहां पहुंचते ही करीब दो घन्टे में यह निर्णय ले लिया कि सुशांत ने आत्महत्या की है। हालाँकि सुशांत की लाश के पास कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।
सुशांत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी ने ही सुशांत के दरवाज़े के ताले की चाबी बनवाई… वही सबसे पहले अन्दर घुसा और उसी ने सुशांत की लाश को नीचे उतारा। सिद्धार्थ के अनुसार सुशांत ने पंखे से लटकने के लिये सिद्धार्थ के हरे रंग के कुर्ते का इस्तेमाल किया।
बेचारी मुंबई की पुलिस इतनी मासूम है कि उसने इतने अहम विटनेस को मुंबई छोड़ कर हैदराबाद जाने की अनुमति दे दी। सिद्धार्थ ने कदम कदम पर अपना बयान बदला और पुलिस को उस पर कोई संदेह नहीं हुआ।

पुलिस को दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्याओं में कहीं कोई संबन्ध दिखाई नहीं दिया। आज जब यह राज़ खुला कि आत्महत्या के समय दिशा सालियान के बदन पर कपड़े नहीं थे, तो बेचारी मुंबई पुलिस की मासूमियत पर और भी प्यार आया। मुंबई पुलिस के अधिकारियों को इसमें कुछ संदेहास्पद नहीं लगा कि एक लड़की आत्महत्या करने से पहले अपने कपड़े क्यों उतारेगी। ज़ाहिर है कि उसका उद्देश्य गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में अपना ना दर्ज करवाने का तो नहीं ही रहा होगा।
मुंबई पुलिस को समझ ही नहीं आया कि सुशांत की मित्र रिया चक्रवर्ती क्या कुछ कर चुकी है और कर रही है। वह बांद्रा के डी.सी.पी. अभिषेक त्रिमुखे से बात करती है। और वे भी उसे फ़ोन करते हैं। वह एक दिन देश के गृह मंत्री को चिट्ठी लिखती है कि सुशांत की मृत्यु की जाँच सीबीआई द्वारा करवाई जानी चाहिये। मगर जब बिहार पुलिस मामले की तहकीकात करने आती है तो रिया उनसे बचती फिरती है। और फिर वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती है कि मामले को सीबीआई के सुपुर्द न किया जाए और केवल मुंबई पुलिस की देखरेख में ही मामले की जाँच की जाए।
कांग्रेस पार्टी का कुछ अजीब सा ढुलमुल रवैय्या दिखाई दे रहा है। उनके नेताओं के वक्तव्यों से लगता है जैसे वे भी किसी को बचाने के प्रयास में जुटे हैं।