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मेरा यक़ीन, हौसला, किरदार देखकर
मंज़िल क़रीब आ गई रफ़्तार देखकर
जब फ़ासले हुए हैं तो रोई है मां बहुत
बेटों के दिल के दरमियां दीवार देखकर
हर इक ख़बर का जिस्म लहू में है तरबतर
मैं डर गया हूँ आज का अख़बाऱ देखकर
बरसों के बाद ख़त्म हुआ बेघरी का दर्द
दिल ख़ुश हुआ है दोस्तो घरबार देखकर
दरिया तो चाहता था कि सबकी बुझा दे प्यास
घबरा गया वो इतने तलबगार देखकर
वो कौन था जो शाम को रस्ते में मिल गया
वो दे गया है रतजगा एक बार देखकर
चेहरे से आपके भी झलकने लगा है इश्क़
जी ख़ुश हुआ है आपको बीमार देखकर
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फूल महके यूं फ़ज़ा में रुत सुहानी मिल गई
दिल में ठहरे एक दरिया को रवानी मिल गई
घर से निकला है पहनकर जिस्म ख़ुशबू का लिबास
लग रहा है गोया इसको रातरानी मिल गई
कुछ परिंदों ने बनाए आशियाने शाख़ पर
गाँव के बूढ़े शजर को फिर जवानी मिल गई
आ गए बादल ज़मीं पर सुनके मिट्टी की सदा
सूखती फ़सलों को पल में ज़िंदगानी मिल गई
जी ये चाहे उम्र भर मैं उसको पढ़ता ही रहूं
याद की खिड़की पे बैठी इक कहानी मिल गई
मां की इक उंगली पकड़कर हंस रहा बचपन मेरा
एक अलबम में वही फोटो पुरानी मिल गई