1 – पन्ने
मिल गये थोड़े पन्ने लिखे आपके
उंगलियों ने छुई जब इबारत कोई
यूँ लगा जैसे धड़कन ठहर सी गई
मिल गये आप ख्वाबों में खोये हुए
जुड़ गई खो चुकी कोई नाजुक कड़ी
हर वही बात फिर याद आने लगी
जिसको बैठे थे दिल से भुलाये हुए
याद आया अमरबेल का झूलना
बाग में खुरदुरे काँस का फूलना
वो महक धान के पक गये खेत की
उड़ते बगुलों का उड़ने की रौ भूलना
ऐसे ही अनगिनत खूबसूरत से पल
मिल गये अक्षरों में समाये हुए
कुछ शिकायत मेरे दूर जाने की भी
जिन्दगी बिन जिये छोड़ जाने की भी
ना समझने की जिद आँसुओं की कसक
दिल से वादा किया तोड़ जाने की भी
फैलती रोशनाई में घुलने लगे
चन्द लमहे बहुत याद आये हुए
2 – मोती झरते
मोती झरते आसमान से
भीग रहा धरती का तन मन
सोई कितने इत्मीनान से
खेत धान का भीग रहा है
सूरज जाने कहाँ गया है
धुली मेड़ भीगी पगडंडी
सब कुछ लगता नया-नया है
भीग रहे आँखों के सपने
मचल रहे दुधमुंहे धान से
पुरवाई लेती अँगड़ाई
लिपट गई तन से परछाई
छलक उठे बदली के नैना
समझ गई है पीर पराई
गुजर रहा व्याकुल सा कोई
मौसम के इस इम्तिहान से
जोड़े के संग सोन चिरइया
गौरे से लिपटी गौरइया
मगर किसी की दो आँखों को
जीवन लगता भूल भूलइया
साँसें मिलने को व्याकुल हैं
परदेशी हो गये प्राण से