गीत
माना तुमने खोया जीवन
है आँख भरी औ’ रीता मन
हैं हृदय भेदते दृश्य कई
टूटे कंगन रोता बचपन
संताप समा लेना उर में
उनके आगे तुम मत रोना
देखो तुम धीरज मत खोना
जीवन का अर्थ समझना है
अब हाथ पकड़कर बढ़ना है
एड़ी चोटी का जोर लगा
उठकर फिर से चल देना है
चाहे पथ उष्ण कटीले हों
तुम प्रेम बीज उन पर बोना
देखो तुम धीरज मत खोना
माना यह निष्ठुर विपदा है
जाने कितनों को लील गई
फिर उस पे लालच की आँधी
रिसते घावों को छील गई
मानवता का ये संकट है
मानवता पर मरना जीना
देखो तुम धीरज मत खोना
कुछ कोमल हृदय बताते हैं
हर बार देवजन आते हैं
जिन आँखों से बह रहा रक्त
उन्हें होठों से सहलाते हैं
जो मोम भरा है सीने में
उसे पत्थर मत होने देना
देखो तुम धीरज मत खोना
ग़ज़ल
मुह़ब्बत में ग़ज़ल कहने को बैठे
किसी की याद में जलने को बैठे
तस़व्वुर में कहीं गुम हो न जाएँ
हमीं पर हम नज़र रख़ने को बैठे
नज़ारा देख़ के क़ातिल था हैराँ
कि हम तैयार थे मरने को बैठे
वहीं बैठें, जहाँ दिल भी हो अपना
न ऐसा हो कि बस कहने को बैठे
जिन्हें हम सर झुका के ही मिले थे
वही थे सर क़लम करने को बैठे