होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये... ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - September 18, 2022 101 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet ख़ूबसूरत हैं तो होने दो नज़र में मेरे नइं। यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं।। तुम कहीं अपना चलाओ जाके जादू हुस्न का। औरों को होगी ज़रूरत तेरी घर में मेरे नइं।। ज़िंदगी तो एक धोका है फ़ना होंगे सभी। हैं मुसाफ़िर सब कोई साथी सफ़र में मेरे नइं।। सच हमेशा कहता हूॅं मैं लड़ता हूॅं सच के लिए। बस ख़ुदा का डर है डर दुनिया का डर में मेरे नइं।। जो अगर कुछ सीखना है तुमको मुझसे ऐ ‘निज़ाम’। तो अदब से पास बैठो मेरे सर में मेरे नइं।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं अनिला सिंह चरक की ग़ज़लें विज्ञान व्रत की पाँच ग़ज़लें डॉ मनीष कुमार मिश्रा की ग़ज़ल कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.