निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं
ख़ूबसूरत हैं तो होने दो नज़र में मेरे नइं।
तुम कहीं अपना चलाओ जाके जादू हुस्न का।
ज़िंदगी तो एक धोका है फ़ना होंगे सभी।
सच हमेशा कहता हूॅं मैं लड़ता हूॅं सच के लिए।
जो अगर कुछ सीखना है तुमको मुझसे ऐ ‘निज़ाम’।
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