Saturday, July 27, 2024
होमग़ज़ल एवं गीतनिज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल - यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये...

निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं

ख़ूबसूरत हैं तो होने दो नज़र में मेरे नइं।
यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं।।
तुम कहीं अपना चलाओ जाके जादू हुस्न का।
औरों को होगी ज़रूरत तेरी घर में मेरे नइं।।
ज़िंदगी तो एक धोका है फ़ना होंगे सभी।
हैं मुसाफ़िर सब कोई साथी सफ़र में मेरे नइं।।
सच हमेशा कहता हूॅं मैं लड़ता हूॅं सच के लिए।
बस ख़ुदा का डर है डर दुनिया का डर में मेरे नइं।।
जो अगर कुछ सीखना है तुमको मुझसे ऐ ‘निज़ाम’।
तो अदब से पास बैठो मेरे सर में मेरे नइं।।
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest