होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझे देखकर मेरी मौत भी, मेरे पास ... ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझे देखकर मेरी मौत भी, मेरे पास आने में डर गई द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - January 1, 2023 35 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet मेरी आरज़ू रही आरज़ू, युँ ही उम्र सारी गुज़र गई। मैं कहाँ-कहाँ न गया मगर, मेरी हर दुआ भी सिफ़र गई।। की तमाम कोशिशें उम्र भर, न बदल सका मैं नसीब को। गया मैं जिधर मेरे साथ ही, मेरी बेबसी भी उधर गई।। चली गुलसिताँ में जो आँधियाँ, तो कली-कली के नसीब थे। कोई गिर गई वहीं ख़ाक पर, कोई मुस्कुरा के सँवर गई।। वो नज़र जरा सी जो ख़म हुई, मैंने समझा नज़र-ए-करम हुई। मुझे क्या पता ये अदा थी बस, जो की दिल के पार उतर गई।। मेरे दर्द-ए-दिल की दवा नहीं, मेरा ला-इलाज है ये मरज़। मुझे देखकर मेरी मौत भी, मेरे पास आने में डर गई।। ये तो अपना अपना नसीब है, कोई दूर कोई करीब है। न मैं दूर हूँ न करीब हूँ, युँ ही उम्र मेरी गुज़र गई।। ये खुशी निज़ाम कहाँ से कम, कि हैं साथ अपने हज़ारों ग़म। ये ही ज़िंदगी है ये सोचकर, हँसी आके लब पे बिखर गई।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं नीलम वर्मा की ग़ज़ल त्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत – मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में डॉ. रश्मि कुलश्रेष्ठ के दो गीत कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.