होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - August 1, 2021 81 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet धोखा चमक दमक से उजाले का खा गए। देखा जो ग़ौर से तो अंधेरे में आ गए।। दुनिया को मुंह दिखाने के क़ाबिल न रह सके। हमको हमारे शौक़ ही ये दिन दिखा गए।। तहज़ीब के ये रंग भरे दौर क्या कहें। ख़ुद आज हमको अपनी नज़र से गिरा गए।। नादान हम थे कितने की सब कुछ लुटा दिया। रुसवा हुए तो होश ठिकाने पे आ गए।। छोटी सी एक भूल की माफी न मिल सकी। जो की न थी ख़ता वो सजा हम भी पा गए।। अपनी कमी कहें की ये क़िस्मत ख़राब है। सब लोग हमको अपना निशाना बना गए।। शिकवा करे ‘निज़ाम’ तो किससे करे यहाँ। जो हम सफ़र थे अपने वही ख़ुद मिटा गए।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र का गीत – कभी सोचा नहीं था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.