होम ग़ज़ल एवं गीत सोनिया सोनम अक्स की दो ग़ज़लें ग़ज़ल एवं गीत सोनिया सोनम अक्स की दो ग़ज़लें द्वारा Editor - March 23, 2024 61 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet ग़ज़ल 1 इश्क़ से रब्त यूँ भी निभाना पड़ा सांस चलती रही जां से जाना पड़ा रौशनी की ज़रूरत थी इस शहर को इसलिए अपने घर को जलाना पड़ा सच तो ये है कभी वो रहा ही नहीं एक ताल्लुक़ जो हमको निभाना पड़ा हाए तक़दीर का ये लिखा, क्या कहें पास आकर हमें दूर जाना पड़ा एक दम दे दी उसने भी अपनी क़सम रोते रोते हमें मुस्कुराना पड़ा इश्क़ का भी भरम रखना था इसलिए कुछ बताना पड़ा कुछ छुपाना पड़ा ज़िन्दगी मौत के दरमियां सोनिया क्या बताऊँ तुम्हें क्या ज़माना पड़ा ग़ज़ल 2 अश्कों का सैलाब दबा कर मत बैठो अपने दिल में दर्द छुपा कर मत बैठो मेरे दिल में कुछ कुछ होने लगता है तुम यूँ मेरे सामने आकर मत बैठो कोशिश कर के खुद ही अपनी बनाओ जगह बैठे हुए को यार उठा कर मत बैठो हिम्मत है तो झूट के आगे डट जाओ सच्चाई से आँख चुरा कर मत बैठो ज़ोर पे हैं नफरत की हवाएं दुनिया में दिल में कोई आग जलाकर मत बैठो लौट आओ दुनिया-ए-हकीकत में सोनम ख़्वाबों की आग़ोश में जाकर मत बैठो सोनिया सोनम अक्स पानीपत हरियाणा HES -2 राष्ट्रपति अवार्डी 132103 8705351644 संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें अनिला सिंह चरक की ग़ज़लें विज्ञान व्रत की पाँच ग़ज़लें 1 टिप्पणी आदरणीय सोनिया जी!लेखन के क्षेत्र में गजल के व्याकरण की एबीसीडी से भी हम अनजान हैं लेकिन हाँ भाव को समझने का प्रयास करते हैं। वैसे तो दोनों ही अच्छी हैं पर हमें दूसरी गजल ज्यादा अच्छी लगी। बहुत-बहुत बधाइयाँ आपको। जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
आदरणीय सोनिया जी!लेखन के क्षेत्र में गजल के व्याकरण की एबीसीडी से भी हम अनजान हैं लेकिन हाँ भाव को समझने का प्रयास करते हैं। वैसे तो दोनों ही अच्छी हैं पर हमें दूसरी गजल ज्यादा अच्छी लगी। बहुत-बहुत बधाइयाँ आपको। जवाब दें
आदरणीय सोनिया जी!लेखन के क्षेत्र में गजल के व्याकरण की एबीसीडी से भी हम अनजान हैं लेकिन हाँ भाव को समझने का प्रयास करते हैं। वैसे तो दोनों ही अच्छी हैं पर हमें दूसरी गजल ज्यादा अच्छी लगी।
बहुत-बहुत बधाइयाँ आपको।