होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. रूबी भूषण की दो ग़ज़लें ग़ज़ल एवं गीत डॉ. रूबी भूषण की दो ग़ज़लें द्वारा Editor - November 12, 2023 41 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet (1) हुनर यही तो मेरी ज़िंदगी के काम आए ग़ज़ल की बात करूं और तुम्हारा नाम आए कनीज़ बन के स्वागत करूँ मैं शाम ओ सहर किवाड़ दिल के खुले ,सामने ग़ुलाम आए हर एक दिन की शुरुआत हो तेरे दम से तेरे ही दम से मेरी ज़िंदगी की शाम आए कोई तो हो जो लगे ख़ास की तरह मुझ को जो मिलने आए अभी तक वह सिर्फ़ आम आए नज़र मिले तो नज़र से मैं काम ले लूंगी हूँ मुंतज़िर के नज़र से कोई पयाम आए मनाऊंगी मैं उसी लम्हा ईद की खुशियां तुम्हारी शोक निगाहों से जब सलाम आए उन्हीं के हाथों मेरा कत्ल हो गया रूबी तो दफ़न करने की ख़ातिर वह ही तमाम आए (2) साथ उसका रहा दिल्लगी की तरह ज़िंदगी कब रही ज़िंदगी की तरह कोशिश तो रही हर दफ़ा ही मगर वह उलझती गई शायरी की तरह जिसको अपना समझ के बुलाया कभी वह मिला तो मिला हर किसी की तरह मैं वह बाती बनी नाम उसका लिए उम्र भर मैं जली आरती की तरह हम अंधेरे में कब तक भटकते रहे पास आओ कभी रोशनी की तरह डॉ रूबी भूषण 102, शिवराज अपार्टमेंट, ईस्ट बोरिंग कैनल रोड, पंचमुखी हनुमान मंदिर के समीप, पटना-800001 मोबाइल – +91-9931918723 Email – ruby4u30@gmail.com संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें अनिला सिंह चरक की ग़ज़लें विज्ञान व्रत की पाँच ग़ज़लें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.