Friday, October 11, 2024
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नीलिमा करैया की कविता – हमारी हिंदी

भाषा सिर्फ नहीं है हिंदी,
माँ कहलाती है।
भाषा में माधुर्य बहुत है,
सबको भाती है।
भाषाएँ तो हैं बहुत जगत में ,
सबकी माता संस्कृत।
पर हिंदी माता की,
प्रिय बेटी कहलाती है।
भाषा यह है वैज्ञानिक,
सन्देह नहीं है इसमें।
मौखिक जैसे बोली जाती,
लिखते बिल्कुल वैसे।
जो लिखते हैं वही बोलते,
शब्द न गूँगा (साइलेंट) कोई।
है स्पष्ट बोलने में यह,
लिखने में भी वो ही।
हिन्दी में निर्जीव वस्तुओं,
के भी लिये लिंग निर्धारण।
देवनागरी लिपि अनोखी,
लगती सबको पावन।
संस्कृत के हैं शब्द समाहित,
प्रिय बेटी हिन्दी में।
माता के संस्कार आ गये,
ज्यों उसकी बेटी में।
देवनागरी लिपि हमारी,
सर्वाधिक वैज्ञानिक।
कोई त्रुटि न मिलती इसमें,
सर्वश्रेष्ठ यह भाषिक।
कर्ता कर्म क्रिया होता है,
अंग्रेजी का क्रम।
कर्ता कर्म क्रिया विधि क्रम है,
हिन्दी का अनुक्रम।
सबसे अधिक व्यवस्थित जग में,
वर्णमाल हिन्दी की।
तेरह स्वर तैंतीस व्यंजन से ,
शोभा होती इसकी।
अलंकार रस छंद‌ बढ़ाएँ
भाषा की सुन्दरता,
शब्द -शक्ति इसकी ताकत है,
रचे काव्य जगती का।
ऐसी सात भाषाओं में है,
एक हमारी भाषा।
वैब एड्रेस हेतु उपयुक्त,
दिखती सबको आशा।
पंचाशाधिकैकशत् विश्व
विद्यालयों में,
होता इसका शिक्षण।
अमेरिका भी शामिल इसमें ,
है बहुमूल्य प्रशिक्षण।
हिन्दी की बोली अनेक हैं
नन्हें बच्चों जैसी,
कोमल सा मृदु भाव लिये,
हर बोली मधु के जैसी।
है विशाल इस मातृ का ह्रदय
करे समाहित खुद में।
नदियों का जल मिल जाता है
ज्यों जाकर समुद्र में।
अन्य कई भाषाओं के भी,
शब्द मिलें हिन्दी में।
इसमें मिलकर ‌हो जाते यूँ,
एकमएक इसी में।
भाषा कोष समृद्ध बड़ा ही
रंङ्ग अनेक हैं इसके।
भावों के अनुरूप मिलेंगे
शब्द न जाने कितने।
फ़िजी मॉरिशस और गुयाना,
सूरीनाम टौबैगो
त्रिनिदाद -नेपाल -कनाडा,
हिन्दी भाए सबको।
अमीरात सञ्युक्त अरब में,
भी प्रिय हिन्दी सबकी।
सबको अपने गले लगाती,
बन जाती सब ही की।
भाषा का अधिकार मिला
सन् उनन्चास उन्निस में
हिन्दी दिवस सितम्बर चौदह
है उल्लास ह्रदय में।
प्रेम -भावना और एकता,
की भाषा है हिन्दी।
ये शोभा भारत माता के,
गौरव-ग्रंथ सरीखी।
है यह मात हमारी हमको,
इसे बचाना होगा ।
ना समझें इसको कमतर यह,
सबको समझाना होगा।
भाषा की भीनी सुगन्ध जब,
घर-घर में फैलेगी।
उन्नत होगा भाल देश का,
गौरव -गन्ध उड़ेगी।
नीलिमा करैया
संपर्क – [email protected]
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2 टिप्पणी

  1. हिंदी दिवस पर हिंदी की खूबियों का बयां करती बेहद दिलकश और सहज रचना।
    सरल हृदय ही इतनी सहज रचना लिख सकता है।
    बधाई हो नीलम जी को और संपादकीय स्कंध को भी

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