डॉ. तारा सिंह अंशुल, गोरखपुर
बहुत ही मर्मस्पर्शी डॉ कुंवर बेचैन का साक्षात्कार..
इनका शैशवावस्था बाल्यावस्था तो दुख के सागर में डूबा हुआ था जो हीरा बनकर निकला। यह साक्षात्कार पढ़कर आंखें नम हो गईं … उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से रूबरू हुए जो कदापि संज्ञान में नहीं था।मुझे लगता है हर जीवन एक अलग कहानी नहीं बल्कि एक उपन्यास होता है । अल्पना को इस साक्षात्कार के लिए साधुवाद देती हूँ । बहुत ही लोकप्रिय अज़ीम शायर कविरत्न दिवंगत डॉ कुंवर बेचैन जी को पुनः सादर श्रद्धांजलि समर्पित करती हूँ।

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डॉ. उषा साहू, मुंबई
महाकवि डॉक्टर कुंवर बैचेन की डॉक्टर अल्पना सुहासिनी से बात – चीत पढ़ी । दो डॉक्टरों के बीच में, पढ़ने वालों की हालत कैसी होगी, आप समझ सकते हैं ।
बहुत ही सशक्त, और  जीवन की सच्चाइयों से भरा हुआ वार्तालाप है । ये सिद्ध हो गया कि वियोगी होगा पहला कवि….. । सब तरह के वियोग उन्होंने सहे हैं । जन्म के साथ ही पिता का वियोग, मां का वियोग । इस व्यथा के बाद ही वे डॉ कुंवर बैचेन बन सके ।
इस साक्षात्कार के द्वारा ही हम उनकी जीवन यात्रा से रूबरू हो सके । जो भी हमारे श्रद्धेय होते हैं, या हमारे आदर्श होते है, उनके बारे में अधिक से अधिक जानने की उत्कंठा होती है । वह उत्कंठा इस वार्तालाप के द्वारा कुछ हद तक पूरी हो जाती है । इसके लिए डॉक्टर सुहासिनी बधाई की पात्र हैं । उनका द्वारा लिया गया ये साक्षात्कार, वर्तमान साहित्य युग में मील का पत्थर साबित होगा । सबसे अधिक धन्यवाद तेजेंद्र शर्मा जी को है, जिनके सौजन्य से स्तरीय वार्तालाप हम पढ़ सके ।
बहुत बहुत धन्यवाद..

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डॉ. उषा साहू, मुंबई
उफ़्फ़ ! 16 मई की “पुरवाई” के संपादकीय ने हिलाकर रख दिया । एकदम सिहरन आ गई । मुंह से सिर्फ ये ही निकला, हे भगवान ! अब होगा क्या ? क्या दिन हैं, दफनाने के लिए किसी पहचान की जरूरत पड़ गई । इससे बुरा कुछ हो ही नहीं सकता ।
इस बवंडर को कौन हवा दे रहा है ? क्या राजनीति, क्या मीडिया, या भ्रष्ट मानवता । अनुत्तरित प्रश्न है ।
बीमारों के ठीक होने में और ठीक न होने के प्रतिशत बहुत बड़ा फर्क है । अधिकांश लोग ठीक हो रहे हैं । लेकिन हमारा सो काल मीडिया बीमारों का आंकड़ा बढ़ा-चढा कर दिखा रही है और ठीक होने वालों का आँकड़ा या तो दिखा ही नहीं रही है, या बहुत ही साधारण तौर पर, जिससे पब्लिक का ध्यान उस तरफ जाता ही नहीं है । ऐसे में मनोबल तो टूटेगा ही, नकारात्मक्ता तो फैलेगी ही ।
दाह संस्कार न कर पाने के कारण, लाशों को नदियों में बहा देना, थोड़ी-सी गहराई पर ही दफ़ना देना, कुत्तों द्वारा नोच-नोच कर उन्हें खाने का प्रयत्न करना, आह ! जरा इस दृश्य की कल्पना करके देखें । क्या हृदय शरीर से बाहर  नहीं आ जाएगा ।
मेरा एक परिचित परिवार है, सॉरी है नहीं था । हर्षला बेन और नितिन भाई । हर्षला बेन हॉस्पिटल में थी और नितिन भाई घर पर इलाज करा रहे थे । दो दिन पहले खबर आई कि हर्षला बेन चल बसीं । अब नितिन भाई को कैसे बताया जाय । किसी तरह पक्का दिल करके उनके बेटे-बहू ने ये दुख:द समाचार उनको बताया । अब नितिन भाई पागलों की तरह घर में भटकते रहते हैं । अब एक आदमी उनको सम्हालने के लिए चाहिए ।
अब प्रश्न यह है, अगर हर्षला बेन हॉस्पिटल न जातीं तो क्या ठीक हो जाती ? तो क्या हॉस्पिटल ने उनकी हत्या कर दी । ये क्या है ? मतलब जो घर में हैं वे ठीक हो रहे हैं और हॉस्पिटल जाकर मर रहे हैं । क्या हॉस्पिटल उनकी हत्या कर रहा है ।
भारतीय संस्कृति की धज्जियां उड़ाकर, भ्रष्ट नेता, देश को और सरकार को बदनाम करने पर आमादा हैं । जबकि समय की पुकार है कि मानवता के लिए, एक जुट होकर मुसीबत का सामना करें । एक जुट का तो कहीं अता-पता ही नहीं है ।
ये तो सभी जानते हैं कि इस हाहाकार की वजह, करोना नहीं बल्कि अवयस्था है । अब सरकार को जबाव देना है, अब सरकार को वोट की कीमत चुकाना है ।
हमारे नियमित कर्मी, जैसे डाक्टर्स, नर्स, पेरामेडिकल स्टॉफ, पुलिस के जवान, जिन्हें कोरेना वारियार कहा जा रहा है, वे निरंतर अपनी ड्यूटी पर अड़े रहे । उन्होने न अपना ध्यान रखा और ना ही अपनों का । धोखा दिया तो काला बाजारी करने वालों ने, कफन चोर भ्रष्ट नेताओं ने । रही-सही कसर पूरी कर दी मीडिया ने, नकारात्मक समाचार दिखा-दिखा कर । लोगों का मनोबल टूट गया । ये धारणा बन गई के केरोना है मतलब मौत निश्चित है।
हे सरकार महान ! अब तो जागो, और क्या क्या दिखाओगे ? सीखना पड़ेगा सबक,  जापान से फ्रांस से, जर्मनी से, ब्रिटेन से, ब्राज़ील से । अब सरकार एक बार दिखा दे भारत की जनता को, कि भारत की सरकार, भारत की जनता के लिए ही है ।
माननीय, संपादक जी, आपने भारत में करोना के हालात और इसके लिए जिम्मेदार लोगों का मूर्त रूप प्रस्तुत किया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद । किसी भी लेख के लिए आंकड़ों और सबूतों सहित जानकारी प्रस्तुत करना उच्च श्रम का ही प्रतिफल होता है । आपके सभी संपादकीय मेँ ये स्पष्ट होता है ।
धन्यवाद

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