19 दिसंबर, 2021 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं
Sir ji
बहुत ही यूनिक जानकारी दी आपने। हमने कभी ये बात सोची भी न थी जिसे आपने वैज्ञानिकता के साथ बताया।
तेजेन्द्र जी, नमस्कार।
इस आनंद की एक खास वजह और भी है कि अपना बचपन तो गाय-बछड़ों को देखते ही गुजरा।
घर के पिछवाड़े में कुछ गायें थीं।
गोबर का उपयोग आँगन लीपने और खाद की तरह इस्तेमाल करने में भी किया जाता था।
अगर सोचो तो…
नमस्ते, भाई साहब…
🙏 साधुवाद।
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