3 अप्रैल, 2021
हिमालय साहित्य एवम् संस्कृति मंच द्वारा आयोजित शिमला में जन्मे हिंदी के प्रख्यात लेखक निर्मल वर्मा की याद में “निर्मल वर्मा स्मृति यात्रा”. बुक कैफे रिज से भज्जी हाउस कैथू।
हिमालय साहित्य एवम् संस्कृति मंच द्वारा हिंदी के मूर्धन्य लेखक निर्मल वर्मा के जन्मदिन के अवसर पर “निर्मल वर्मा स्मृति यात्रा” का अयोजन किया गया। यह यात्रा रिज टका बैंक पर स्थित बुक कैफे से प्रातः 11 बजे आरंभ हुई और स्कैंडल पॉइंट मॉल बेंटनी कैसल, ग्रैंड होटल, कालीबाड़ी से होती हुई केथली क्लब, तारा हाल स्कूल के रास्ते अपर कैथू निर्मल वर्मा के जन्मघर हरबर्ट विला तथा भज्जी हाउस पहुंची।
निर्मल वर्मा 3 अप्रैल, 1929 को शिमला कैथू स्थित हरबर्ट विला में हुआ था और उनके बचपन के पंद्रह साल इसी विला के साथ भज्जी हाउस में गुजरे। हरबर्ट विला अब निजी संपत्ति है और भज्जी हाउस सरकारी अफसरों के क्वाटर। उन्हीं स्मृतियों को ताजा करने के उद्देश्य से रिज पर स्थित बुक कैफे(अब नगर निगम का सरकारी ढाबा) के प्रांगण में लेखक एकत्रित हुए और वहां से पैदल यात्रा कैथू हरबर्ट विला और भज्जी हाउस तक पहुंची।
भज्जी हाउस के प्रांगण में निर्मल वर्मा की स्मृति में एक गोष्ठी आयोजित की गई। एस. आर. हरनोट ने निर्मल वर्मा के शिमला से संबंधित संस्मरणों और संदर्भों का पाठ किया। भारती कुठियाला ने निर्मल जी के उपन्यास “लाल टीन की छत” से अंश पढ़ा।
डा विद्यानिधि और आत्मा रंजन ने निर्मल वर्मा के कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी की। परिचर्चा और यात्रा में एस.आर. हरनोट, कुलराजीव पंत, आत्मा रंजन, विद्यानिधि, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, सतीश रत्न, भारती कुठियाला, सुमित राज, नरेश देयोग, स्नेह नेगी, देवकन्या ठाकुर, दीप्ति सारस्वत, शांति स्वरूप शर्मा, जय करण, वंदना राणा, संतोष शर्मा, गुलपाल वर्मा, यादव शर्मा, यादव चंद आदि लेखकों के अलावा आरती शर्मा और कमल भारद्वाज( सिटी चैनल) अनिश(द रीव टाईम्स) ने भी भाग लिया।
इस आयोजन में लेखकों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें सरकार से भज्जी हाउस को निर्मल वर्मा के स्मारक भवन के रूप में विकसित करने का आग्रह किया जिसमें निर्मल वर्मा से जुड़ी धरोहर, पुस्तकों आदि को सहेजा जाए। साथ ही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में निर्मल वर्मा चेयर भी स्थापित की जाए। लेखकों ने निर्मल वर्मा की स्मृति में लगाए गए बोर्ड के इर्दगिर्द कूड़े के ढेर और जूते आदि गंदगी को इस विश्वविख्यात लेखक के साथ साथ अपनी सांस्कृतिक धरोहर का भी अपमान बताते हुए घोर नाराजगी जताई।
उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि इस स्मृति बोर्ड को वर्तमान निजी भूमि से हटा कर भज्जी हाउस परिसर में सम्मान सहित स्थापित किला जाए। शिमला बुक कैफे से इस यात्रा के शुभारंभ का मूल उद्देश्य इस बंद पड़े बुक कैफे को दोबारा पहले की तरह जेल सुधार से जोड़कर इसकी गरिमा को पुनः बहाल करना भी रहा है जिसके लिए सरकार से अब इसे निजी हाथों न देकर इसके पूर्व स्वरूप को ही बरकरार रखे जाने का आग्रह किया गया।
-अश्विनी कुमार