‘मुम्बई को देखने की नयी नजर है करवट बदलती सदी आमची मुम्बई’
– हरीश पाठक
‘यह न तो कहानी संग्रह है,न रिपोर्ताज,यह मुंबई को नयी नजर से देखने और उसे महसूस करने का वह दस्तावेज है जो कथारस से भरपूर है।’यह विचार कथाकार,पत्रकार हरीश पाठक ने सन्तोष श्रीवास्तव की दो पुस्तकें ‘करवट बदलती सदी आमची मुम्बई’और कविता संग्रह ‘तुमसे मिलकर’ के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए व्यक्त किये।किताबवाले पब्लिशर्स के मंच पर आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता मशहूर पत्रकार महेश दर्पण ने की, उन्होंने “तुमसे मिलकर ” काव्य संग्रह की कविता “हादसा “पढ़ कर सुनाई और कहा कि इस मार्मिक कविता की कैसे समीक्षा की जाए?? यह खुद ही एक पूरा सामाजिक दृष्टिकोण उपस्थित करती है।”
कार्यक्रम का संचालन बनारस से आए अजय श्रीवास्तव ने किया।
समारोह में एस. आर. हरनोट, महेश कटारे, अशोक मिश्र,अवधेश श्रीवास्तव,आनंद भारती, रणविजय राव, सुभाष चन्दर, प्रशान्त जैन, गिरीश पंकज, राकेश पाठक ,मधु सक्सेना,सुरेंद्र रघुवंशी, राकेश सक्सेना, क्षमा पांडे, चंद्रकला त्रिपाठी, रागिनी बाजपेयी, प्रभा ललित सिंह, प्रशांत जैन, सुकुन भाटिया,राधा गोयल सहित 60 लोग उपस्थित थे।