Tuesday, October 8, 2024
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दिलीप कुमार का व्यंग्य – पबजी, लव जी और भौजी

कारगिल युध्द के बाद भारत के अनमोल रत्न सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि –
 “जब देश की  सीमा पर हमारे जवान पाकिस्तान से युद्ध लड़ रहे हों तो ऐसे समय में पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने का कोई मतलब नहीं है“। सीमा पर चल रहे उस वक्त की जंग के मद्देनजर सचिन की बात का देशवासियों ने पुरजोर समर्थन किया था। 26/11 हमले के बाद से अब तक पाकिस्तान, द्विपक्षीय सीरीज खेलने के लिये भारत से नाक रगड़ रहा है,  ताकि आईपीएल में बरस रही  अकूत दौलत के कुछ छींटे उनके मुल्क पर भी पड़ सकें।
लेकिन तब से न तो भारत के प्रति पाकिस्तान की बदमाशी कम हुई है और न ही पाकिस्तान से  क्रिकेट को लेकर  सचिन तेंदुलकर की बात का इकबाल कम हुआ है। 
एक बार बात बिगड़ी तो फिर बिगड़ती ही चली गई।  क्रिकेट के रिश्ते टूटे तो हर किस्म के रिश्ते बाघा और अटारी बॉर्डर वाले दोनों देशों के   रिश्ते टूटते ही चले गए , यहां तक कि भारत ने टमाटर और इफरात पानी भी पाकिस्तान को देना बंद कर दिया।  इनकी सुलह यूनाईटेड नेशन्स और यूयसए की पहल भी नहीं करवा पाई ।
लेकिन जो काम राजनयिक, राजनैतिक और कूटनीतिक स्तर से नहीं हो पाया वो इश्क ने कर दिखाया, वो भी एक गेमिंग एप के जरिये।
तब सीमा पर हुए कारगिल युध्द के जरिये सचिन  की बात देश में लाइमलाइट में आयी थी अब पबजी के खेल में हुई  सचिन और सीमा के सम्पर्क और उसके बाद की घटनाओं से मीडिया ने आसमान सर पे उठा रखा है  है । 
किसी शायर ने ऐसे ही हालातों पर बड़ी दिलफ़रेब बात कही है –
“उसकी बेटी ने उठा रखी है दुनिया सिर पे 
शुक्र है ,अंगूर के कोई बेटा न हुआ “।
पाकिस्तान भी गजब मुल्क है , वो अपने बाशिंदों को रोटी, बिजली, पानी ,सुरक्षा नहीं दे पाता लेकिन अगर उसका कोई बाशिंदा भागकर भारत आ जाये तो उस मुल्क के तमाम लोग नाक -भौं सिकोड़ रहे हैं कि कहीं भी जाते मगर भारत तो हर्गिज नहीं जाना था।
अब बंदूक और नफरत पर पल रहे और आटे के लिये मारामारी कर रहे पाकिस्तानियों को कौन समझाए –
“भूख न देखे जूठा भात 
नींद न देखे टूटी -खाट
प्रेम न देखे जात -जात “
क्योंकि भले ही पब जी के जरिये हुआ हो मगर “लव तो लव है जी “ भारत में कुछ अति उत्साही सोशल मीडिया जीवी लोग खुश हैं कि उन्हें जैसे कोई “भौजी “ मिल गई हो।
लेकिन हद तो तब हो गयी जब सचिन -सीमा के मीडिया ट्रायल में पाकिस्तान के सिंध सूबे के डकैतों की भी इंट्री हो गयी। 
वैसे तो पाकिस्तान में डकैत और गधे इफरात में पाए जाते हैं । भारत में लोगों की  समझ में ये नहीं आ रहा है कि ये डकैतनुमा गधे थे या गधेनुमा डकैत तो यूनियन आफ इंडिया को वीडियो जारी कर धमका रहे हैं कि” पाकिस्तान से भाग कर आई हुई लड़की को जबरदस्ती उसके देश वापस भेजो वरना वो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हमला करेंगे “।  अरे सिंध के डकैतनुमा गधों , पाकिस्तान के पांचों सूबों में दिन -रात अल्पसंख्यकों पर हमले जारी हैं , इसमें नया क्या है जल्द ही पूरे पाकिस्तान से अल्पसंख्यक वैसे ही नेस्तनाबूद हो जाएंगे जैसे अफगानिस्तान से हो गए । 
अब इन डकैतनुमा गधों को कौन समझाए कि इश्क किसी भी सीमा या सरहद को नहीं मानता ,क्योंकि अगर ऐसा होता तो भारत में अपने -अपने फील्ड में शिखर छूने वाली महिलाएं रीना राय और सानिया मिर्जा पाकिस्तान के युवकों से क्यों विवाह करतीं?
 कुछ डकैतनुमा गधे जो पाकिस्तान से वीडियो बनाकर धमकी देते हुए रेंक रहे हैं वो सब कदाचित इस बात से अनभिज्ञ हैं कि भारत में नेपाल के रास्ते भागकर आई हुई महिला ने कहा है कि 
“उसे भारत में ही रहना है ,भले ही ज़िंदगी जेल में बितानी पड़े, वो जीते जी हर्गिज पाकिस्तान वापस नहीं जाएगी क्योंकि मध्ययुग में जी रहे पाकिस्तान के लोग उसे पत्थरों से मार -मारकर उसकी जान ले लेंगे”।
सियासत के मोर्चे पर यही गनीमत रही कि पाकिस्तान के “नेशनल पप्पू “ और “बदमाश शरीफ “ ने इस घटना के बाबत अभी कोई स्टेटमेंट नहीं दिया है ।
मीडिया ने इसके अलावा चंद्रयान पर भी अभियान छेड़ रखा है ।
 पाकिस्तान के यू टर्न खान कहे जाने वाले इमरान खान के पूर्व  के एक विश्वस्त सहयोगी मगर जेल जाने के डर से उनसे अलग हो चुके “डब्बू” के उपनाम से मशहूर फवाद चौधरी भी इस मीडिया के सर्कस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जो अपनी अक्लमंदी भरे बयानों और सेहत दोनों से काफी मोटे हैं ।  डब्बू हजरात उस मुल्क के साइंस और टेक्नोलॉजी मिनिस्टर भी रह चुके हैं । जहाँ दुनिया ने भारत के चंद्रयान अभियान को मानवता के इतिहास का “मील का पत्थर “ माना है ,वहीं  पाक के एक्स मिनिस्टर डब्बू ने भारत के  चंद्रयान के अभूतपूर्व कामयाबी को मामूली मानते हुए एक दानिशमंद बयान जारी किया है “जब जमीन से ही हमें चांद दिखता है तो चांद पर चंद्रयान भेजने की जरूरत ही क्या है “?
वाह रे डब्बू, सदके जावां तेरी अहमकाना दानिशमंदी पर , इन डब्बू हजरात की अक्ल को “वण्डर ऑफ द  वर्ल्ड “ करार दिया जाना चाहिये।
ये वही दानिशमंद हजरात हैं जिन्होंने पाकिस्तान का साइंस और टेक्नोलॉजी मिनिस्टर रहते हुए बयान दिया था कि “अगर आपके घर के छोटे बच्चे मिट्टी खाते हैं तो उन्हें मिट्टी के बजाय सीमेंट फरहाम कराएं ताकि वो आगे चलकर जांबाज पाकिस्तानी बाशिंदे बन सकें “।
पाकिस्तान वाकई बतौर मुल्क एक केस स्टडी है । पहले पाकिस्तान में नारा लगता था “पाकिस्तान जिंदाबाद” अब पाकिस्तानी नारा लगाते हैं “पाकिस्तान से जिंदा भाग “ यानी पाकिस्तान से अगर ज़िंदा भाग सकते हो तो भागो, क्योंकि पाकिस्तान में रहोगे तो या तो आटे की लाइन में भगदड़ से मरोगे   और कहीं बच गए तो कोई भी किसी को कोई धार्मिक अवमानना का आरोप लगा कर मार देगा ।
एक मशहूर पाकिस्तानी शायर ने तो पाकिस्तान के हालात पर कहा था
“न जाने कौन किसका कत्ल कर दे काफ़िर कहकर ,
शहर का शहर मुसलमान बना फिरता है “
आटे की लाइन और पत्थरबाजी से हुई मौत से ही हर पाकिस्तानी सुबह खुद को नसीहत देता है “पाकिस्तान से जिंदा भाग “ बाकी सब पब जी , लव जी औऱ भौजी वगैरह तो ज़िंदा बचे रहने के लतीफे हैं ,क्योंकि आम पाकिस्तानी के लिये तो –
“ज़िंदगी से बड़ी कुछ सजा ही नहीं
और जुर्म क्या है कुछ पता ही नहीं “।
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