उसने सब्जी बनाने के लिए कढ़ाई चूल्हे पे चढ़ाया,और तड़के में खड़ी लहसुन की कुछ कलियां डाल दी।अचानक से एक लहसुन तेज आवाज के साथ फट पड़ा और उसके मुंह पे जा लगा,उसके साथ ही तेल की कुछ बूंदे भी उसके चेहरे को जला गयी,वो बस दर्द से कराहती रह गयी।
आवाज सुनकर बगल वाले कमरे से सास दौड़ी आयीं। “क्या हुआ बहू, यह आवाज कैसी थी ?”
“कुछ नहीं मांजी ,लहसुन पता नहीं कैसे फट पड़ा और मेरे चेहरे पर ही सीधा आ गया” जहां-जहां तेल के छींटे गिरे थे,उसके चेहरे पे लाल-लाल दाने उभर आये थे।
“चलो फिर कोई बात नहीं, मुझे लगा पता नहीं क्या हो गया।” फिर उन्होंने राहत की सांस ली और कोई कराह रहा था।
धोखा
“अरे तुम्हे पता है, मम्मी जी इतना अच्छा खाना बनाती हैं कि सब उंगलिया चाटते रह जाते हैं”मैं तो कभी भी मम्मी जी जैसा खाना नहीं बना पाती हूं।
सविता अपनी सहेलियों से अपनी सास के पाक कला का गुण गान करती जा रही थी और वो बस मंद मंद मुस्काये जा रहीं थीं।उन्हें गर्व हो रहा था अपनी बहू पर जो अपनी सहेलियों के सामने भी उन्हें इतनी इज्जत औऱ मान सम्मान दे रही थी।
“तो मम्मी जी हो जाये आपके हाथ के गर्म गर्म पकोड़े और समोसे,विधि तो सिर्फ आपके हाथ के समोसे खाने ही यहां आयी है”सविता ने सास से मनुहार किया।
“हां-हां बहु क्यों नहीं, मैं जरूर बनाउंगी तुम लोगों लिए पकोड़े और समोसे,तुम सब भी तो मेरे बच्चों जैसे ही हो”मालती जी खुशी-खुशी किचन में चली गयीं और बहुत प्यार से बहु और उसके दोस्तों के लिए उनकी पसंद की चीजें बनायी।उन्होंने सारी चीजों को अच्छे से प्लेट में सजाया और उनके कमरे में रखने के लिए जा ही रही थीं कि कमरे से आती आवाजों ने उनके कदम ठिठका दिए।
बहू की दोस्त उससे कह रही थी”यार तू तो बड़ी भाग्यशाली है, इतनी अच्छी सास मिली तुम्हें, जो कहो बनाके दे देती हैं”
सही कह रही है यार, मम्मी जी तो इतनी बेवकूफ हैं कि बस जरा सी तारीफ कर दो उनकी ,झट से कर देती हैं।मैं तो उनसे सारे काम ऐसे ही कराती हूं। बहु और सारी सहेलियां खिलखिला के हंस दी।
और इधर मालती जी को काटो तो खून नही,खाने की ट्रे उनके हाथों से छूटकर गिर पड़ी।
अति उत्तम