नीरज गोस्वामी हिन्दी ग़ज़ल की गंगा-जमुनी रिवायत के महत्वपूर्ण ग़ज़लकार हैं। पहली बार उन्होंने हमारे आग्रह पर पुरवाई के लिये अपनी ग़ज़लें भेजी हैं। पुरवाई के पाठकों के लिये विशेष सामग्री है…. (संपादक)
ग़ज़लें – नीरज गोस्वामी
1.
ख़ुशी आँख मेरी छुपाती नहीं है
नुमाइश वो ग़म की लगाती नहीं है
पता है रिहाई की दुश्वारियां पर
ये कैदे -क़फ़स भी सुहाती नहीं है
कसक उस नदी की ज़रा सोचिये जो
समंदर में जाकर समाती नहीं है
ख़फ़ा है मेहरबान है कौन जाने
हवा जब दिये को बुझाती नहीं है
पता ये चला है मेरे हिज़्र में वो
यूं हँसती तो है खिलखिलाती नहीं है
करोगे सियासत कहो कैसे ‘नीरज’
तुम्हें कोई गाली तो आती नहीं है
2 .
मुझको कोई अलम नहीं होता
गर तुम्हारा करम नहीं होता (अलम =दुःख )
तू नहीं याद भी नहीं तेरी
हादसा क्या ये कम नहीं होता
कहकहों को तरसने लगता हूँ
जब मेरे साथ ग़म नहीं होता
जिस्म तक ही अगर रहे महदूद
तो सितम फिर सितम नहीं होता
मेरी चाहत पे हो मुहर तेरी
प्यार में ये नियम नहीं होता
वक्त पर जो न तीर बन पाए
हो भले कुछ , कलम नहीं होता
इश्क ‘नीरज’ वो रक्स है जिसमें
पाँव उठने पे थम नहीं होता
3 .
नज़ाकत है न खुशबू और न कोई दिलकशी ही है
गुलाबों संग फिर भी खार को रब ने जगह दी है
किसी की याद चुपके से चली आती है जब दिल में
कभी घुँघरू से बजते हैं , कभी तलवार चलती है
वही करते हैं दावा आग नफ़रत की बुझाने का
कि जिनके हाथ में जलती हुई माचिस की तीली है
फ़क़त इतना कहो उसको मेरी जां आइना देखो
न जाने क्यों ये सुनकर इस क़दर दुंनिया भड़कती है
मैं जब भी बात करता हूँ ज़माने में मुहब्बत की
सभी कहते मुझे हँसकर अमां क्या तुमने पीली है ?
घुटन तड़पन उदासी अश्क रुसवाई अकेलापन
बगैर इनके अधूरी इश्क की हर इक कहानी है
उतर आये हैं बादल याद के आँखों में यूँ ‘नीरज’
ज़मीं जो कल तलक सूखी थी अब वो भीगी भीगी है
4 .
बाद मुद्दत के वो मिला है मुझे
डर जुदाई का फिर लगा है मुझे
क्या करूँ ये कभी नहीं कहता
जो करूँ उसपे टोकता है मुझे
आ गया हूँ मैं दस्तरस में तेरी
अपने अंजाम का पता है मुझे
तुझसे मिलकर मैं जबसे आया हूँ
हरकोई मुड़ के देखता है मुझे
सोचता हूँ ये सोच कर मैं उसे
वो भी ऐसे ही सोचता है मुझे
मैं तुझे किस तरह बयान करूँ
ये करिश्मा तो सीखना है मुझे
नींद में चल रहा था मैं ‘नीरज’
तूने आकर जगा दिया है मुझे
Neeraj Goswami:
Email id: neeraj1950@gmail.com
करोगे सियासत कहो कैसे ‘नीरज’
तुम्हें कोई गाली तो आती नहीं है
वाह नीरज भाई