होम ग़ज़ल एवं गीत सुधेश का एक गीत ग़ज़ल एवं गीत सुधेश का एक गीत द्वारा सुधेश - December 27, 2020 177 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet हवा बदली फिजा बदली है कमबख्त किस्मत पर नहीं बदली । पल पल यहां बदलता कुछ कुछ जाने दिल को क्या हुआ है कुछ तन तो पल पल छीज जाता है दिल जवां लगता है कुछ कुछ । यह दुनिया कितनी बदली है तेरी चाहत पर नहीं बदली । जीवन का डट कर सामना किया गलती यह समझौता नहीं किया एक अजगर का सामना हुआ उस ने पापी पेट पर प्रहार किया । दिन के उजाले में भी अभी हृदयाकाश पर जैसे छा रही बदली । जीवन तो जीना है जीना है जमाने ने चाहे कितना भी छीना है मैं अपनी शराफत क्यों छोड़ूं मेरे साहस में तो कोई कमी ना है । मैं अब भी उसे याद कर लेता मन मीत की चाहत हृदय में मचली । संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें अनिला सिंह चरक की ग़ज़लें विज्ञान व्रत की पाँच ग़ज़लें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.