यादों में बसे ऐ साल बता
तू क्या करने को आया था।
कितनी खुशियाँ साथ में अपने,
ग़म कितने तू लाया था?
ऐ लौटते वक़्त बता
क्या करने को तू आया था?
भरने झोली रिश्तों की,
ज़िन्दगियाँ जोड़ने आया था।
जीवन के नये सबक़ सिखाकर
प्रकृति से नज़रें मिलवाकर,
नवजीवन की आस बंधाकर,
नये सबेरे लाया था।
यादों में बसे ऐ साल बता,
तू संग अपने क्या लाया था।
महामारी फैलाकर सिखाया,
विवशता,मजबूरी से परिचित करवाया,
थम जाओ अब यों न भागो,
क्षणिक सुखों की चकाचौंध में
जीवन के सुख चैन न त्यागो,
संस्कृति,सभ्यता और मानवता के
पाठ पढ़ाने आया था।
यादों मे बसे ऐ साल
बता तू क्या करने को आया था।
दिखला विनाश की लीलाएँ,
तूने अहसास दिलाया है,
है लाचार मानव तू कितना
नश्वर तेरी यह काया है।
ऐश्वर्य सुख की जिस तलाश में
तूने समय गँवाया है,
वह सब संसारी मोह माया है।
ऐ बीतते साल बहुत कुछ
तूने हमें सिखाया है।
इस साल बहुत खोया हमने,
कुछ अमूल्य भी पाया है।
तु ही है जो नये साल की
नयी उम्मीदें लाया है।