होम ग़ज़ल एवं गीत सुधेश का एक गीत ग़ज़ल एवं गीत सुधेश का एक गीत द्वारा सुधेश - December 27, 2020 43 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet हवा बदली फिजा बदली है कमबख्त किस्मत पर नहीं बदली । पल पल यहां बदलता कुछ कुछ जाने दिल को क्या हुआ है कुछ तन तो पल पल छीज जाता है दिल जवां लगता है कुछ कुछ । यह दुनिया कितनी बदली है तेरी चाहत पर नहीं बदली । जीवन का डट कर सामना किया गलती यह समझौता नहीं किया एक अजगर का सामना हुआ उस ने पापी पेट पर प्रहार किया । दिन के उजाले में भी अभी हृदयाकाश पर जैसे छा रही बदली । जीवन तो जीना है जीना है जमाने ने चाहे कितना भी छीना है मैं अपनी शराफत क्यों छोड़ूं मेरे साहस में तो कोई कमी ना है । मैं अब भी उसे याद कर लेता मन मीत की चाहत हृदय में मचली । संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं होली पर निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल फ़िरदौस ख़ान की ग़ज़ल डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – दर्द मेरे थे जितने सभी मेरे दिल में निहाँ हो गए Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.