Saturday, October 12, 2024
होमग़ज़ल एवं गीतसुधेश का एक गीत

सुधेश का एक गीत

हवा बदली फिजा बदली है
कमबख्त  किस्मत पर नहीं बदली ।
पल पल यहां बदलता कुछ कुछ
जाने दिल को क्या हुआ है कुछ
तन तो पल पल छीज जाता है
दिल जवां लगता है कुछ कुछ ।
यह दुनिया कितनी बदली है
तेरी चाहत पर नहीं बदली ।
जीवन का डट कर सामना किया
गलती यह  समझौता नहीं किया
एक अजगर का सामना हुआ
उस ने पापी पेट पर प्रहार किया ।
दिन के उजाले में भी अभी
हृदयाकाश पर जैसे छा रही बदली ।
जीवन तो जीना है जीना है
जमाने ने चाहे कितना भी छीना है
मैं अपनी  शराफत क्यों छोड़ूं
मेरे साहस में तो कोई कमी ना है ।
मैं अब भी उसे याद कर लेता
मन मीत की चाहत हृदय में मचली ।
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest