सच तो यह है कि जब प्रधानमंत्री की दौड़ में भारतीय मूल के ऋषि सुनक और लिज़ ट्रस सक्रिय थे, ऋषि सुनक ने यह भविष्यवाणी की थी कि लिज़ ट्रस जो टैक्स कम करने की बात कह रही हैं, वो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगी। मुंबई की फ़िल्म कलाकार नीना गुप्ता का एक फ़िल्मी संवाद याद आ रहा है जो कि वह फ़िल्म में बार-बार इस्तेमाल करती हैं, “मैं ना कहती थी!” ऋषि सुनक यदि चाहें तो ऐसा कह सकते हैं।
पैंतालीस दिन में वित्त मंत्री और गृह मंत्री का इस्तीफ़ा… ब्रिटेन की आर्थिक व्यवस्था का कबाड़ा… पाउंड की गिरती दर… आम आदमी की टूटती कमर… कंज़र्वेटिव पार्टी के सांसदों का विद्रोह और विपक्षी लेबर पार्टी का दबाव… और लिज़ ट्रस ब्रिटेन के इतिहास की सबसे कम समय तक टिकने वाली प्रधानमंत्री बन कर रह गई।
पत्रकार एलेक मैक-गिनेस ने ट्वीट करते हुए कहा है, “मेरे बेटा अपने जीवन काल में चार वित्त मंत्री, तीन गृह मंत्री, दो प्रधान मंत्री और दो सम्राट देख चुका है… और अभी वह मात्र चार महीने का है!”
इस समय ब्रिटिश अर्थ व्यवस्था चरमरा रही है। सत्ता और धन की प्रतीक कंज़र्वेटिव पार्टी में आग लगी हुई है। यूके में एक वर्ष से भी कम समय में तीसरा प्रधानमंत्री बनने की तैयारी चल रही है… और याद रहे कि अभी साल ख़त्म होने में दो महीने बाक़ी हैं।
सच तो यह है कि जब प्रधानमंत्री की दौड़ में भारतीय मूल के ऋषि सुनक और लिज़ ट्रस सक्रिय थे, ऋषि सुनक ने यह भविष्यवाणी की थी कि लिज़ ट्रस जो टैक्स कम करने की बात कह रही हैं, वो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगी। मुंबई की फ़िल्म कलाकार नीना गुप्ता का एक फ़िल्मी संवाद याद आ रहा है जो कि वह फ़िल्म में बार-बार इस्तेमाल करती हैं, “मैं ना कहती थी!” ऋषि सुनक यदि चाहें तो ऐसा कह सकते हैं।
प्रधानमंत्री पद के लिये प्रचार के दौरान लिज़ ट्रस ने देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के जो वादे किये थे वह उन्हें पूरा नहीं कर पाईं। उनकी सरकार महंगाई पर काबू पाने में पूरी तरह विफल रही। उनके वादों को लागू करने की कोशिश करने वाले वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग के फ़ैसलों से बाज़ार में अस्थिरता फैल गयी। पाउंड कमज़ोर होने लगा। यहां तक कि बैंक ऑफ़ इंग्लैण्ड को ऋण बाज़ार में उतरने के लिये मजबूर होना पड़ा। छिन्न-भिन्न अर्थव्यवस्था और लगातार हो रही आलोचना के बीच क्वासी क्वार्टेंग को वित्त मंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा और नये वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने उनके लगभग सभी फ़ैसलों को पलट दिया।
राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लिज़ ट्रस को अपने त्यागपत्र की घोषणा करनी पड़ी हालांकि उससे एक दिन पहले ही उन्होंने घोषणा की थी कि वे एक योद्धा हैं और अंत तक लड़ेंगी। मगर अब वही बात कि “अपना उत्तराधिकारी चुने जाने तक वे अपने पद पर बनी रहेंगी।” अपने विदाई भाषण में लिज़ ट्रस ने कहा, “वर्तमान स्थिति को देखते हुए मुझे महसूस होता है कि मैं उन वादों को पूरा नहीं कर पाई जिनके लिये मैं लड़ी थी। मैंने सम्राट चार्ल्स को सूचित कर दिया है कि मैं त्यागपत्र दे रही हूं।
ध्यान देने लायक बात यह है कि 45 दिन पहले लिज़ ट्रस ने महारानी एलिज़ाबेथ के सामने प्रधानमंत्री संभाला और आज सम्राट चार्ल्स के सामने त्यागपत्र देना पड़ा।
कुछ लोगों का आक्षेप है कि ऋशि सुनक केवल इसलिए प्रधानमंत्री नहीं बन पाए क्योंकि वे मूल रूप से गोरे ब्रिटिश न हो कर भारत वंशी थे। एक बात तो स्पष्ट है कि ब्रिटेन के सांसदों ने साबित कर दिया है कि वे जनता से अधिक अक्लमंद हैं क्योंकि उनकी पसंद थे ऋषि सुनक और कंज़र्वेटिव पार्टी के सदस्यों ने चुना लिज़ ट्रस को।
ट्रस के पहले वित्त मंत्री ने अपनी नेता के आदेश पर टैक्सों में कटौती करके मुल्क का सत्यानाश कर दिया। व्हाट्सएप पर लिज़ ट्रस के त्यागपत्र से पहले एक संदेश वायरल हो रहा था – “लिज़ ट्रस – ब्रिटेन की प्रधानमंत्री!… वह जल्दी ही जाने वाली है। उनकी उपलब्धियां महान हैं। उन्होंने एक ही महीने में महारानी के साथ-साथ पाउंड, देश, चांसलर, और कंज़र्वेटिव पार्टी का अंतिम संस्कार कर दिया।
लिज़ ट्रस के त्यागपत्र देते ही पाउंड की कीमत वापिस बढ़ने लगी है। अब सब की नज़र ब्रिटेन की राजनीति में अगले कदम पर है। प्रधानमंत्री की दौड़ में ऋषि सुनक एवं पूर्व रक्षा मंत्री पेनी मॉरडेण्ट का नाम उभर कर सामने आ रहा है। सट्टाबाज़ार का झुकाव ऋषि सुनक की ओर है। मगर सबसे हैरान कर देने वाला नाम बॉरिस जॉन्सन का है। क्योंकि कंज़र्वेटिव पार्टी के सांसद सोच रहे हैं कि केवल बॉरिस को ही सांसदों एवं जनता का समर्थन हासिल रहा है। यानी कि लौट के बुद्धू घर को आए।
लिज़ ट्रस के त्यागपत्र देते ही पेनी मॉरडेण्ट ने अपने प्रत्याशी होने की घोषणा कर दी। सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “मेरे जो सहयोगी एक नई शुरूआत चाहते हैं एकजुट पार्टी और राष्ट्रीय हित में नेतृत्व चाहते हैं, उनके समर्थन ने मुझे प्रोत्साहित किया है।… मैं कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता और आपकी प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हो रही हूं। मेरा उद्देश्य है देश को एकजुट करना, अपने वादों को पूरा करना और अगला चुनाव जीतना।”
एक मुहिम यह भी चल रही है कि ऋषु सुनक और पेनी मॉरडेण्ट को संयुक्त रूप से सरकार चलाने का काम सौंपा जाए। दोनों एक दूसरे के विरुद्ध प्रचार न करें और पार्टी को नकारात्मक आलोचनाओं से बचाया जाए।
कंज़र्वेटिव पार्टी के सांसदों ने एक बात तो समझ ली है कि लिज़ ट्रस में मूलभूत योग्यता की कमी थी। जब कभी किसी व्यक्ति को योग्यता के बिना उत्तरदायित्व सौंप दिया जाता है, तो उसका वही हाल होता है जो लिज़ ट्रस के साथ हुआ। उनकी गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन अपनी नेता से बिना कुछ पूछे ग़ैरज़िम्मेदाराना बयाल दे सकती थी और भारत के साथ संबंधों को नुक्सान पहुंचा सकती थी। भारत और ब्रिटेन का व्यापार समझौता खटाई में पड़ गया। उनका नया वित्त मंत्री दस दिन पहले के सभी निर्णयों को पलट देता है।
लेबर पार्टी के मुखिया केर स्टामर मध्यावधि चुनावों की मांग कर रहे हैं। जबकि सत्तारूड़ पार्टी चुनावों से बचने का प्रयास कर रही है। यदि इस समय चुनाव होते हैं तो आशंका जताई जा रही है कि कंज़र्वेटिव पार्टी बुरी तरह से हार जाएगी।
ऋषि सुनक को खुले तौर पर समर्थन करने वाले करीब 50 सांसदों में शामिल डोमनिक राब ने ट्वीट किया, “मैं प्रधानमंत्री पद के लिए सुनक का समर्थन करता हूं। उनके पास ब्रिटिश लोगों की सेवा के लिए सरकार में बेहतरीन प्रतिभाओं को लाकर वित्तीय स्थिरता को बहाल करने, महंगाई को कम करने और कर कटौती और कंजर्वेटिव पार्टी को एकजुट रखने की योजना और विश्वसनीयता है।”
राजनीति में भविष्यवाणियां नहीं करनी चाहिएं। ऊंट किस करवट बैठेगा कुछ पता नहीं चलता। फिर भी यदि कंज़र्वेटिव पार्टी थोड़ी परिपक्वता से काम लेती है तो सुई शायद दो प्रत्याशियों के नाम पर ही अटकेगी – ऋषि सुनक और पेनी मॉरडेण्ट। बस एक ध्यान रखना होगा कि बॉरिस जॉन्सन कहीं कोई चक्कर न चला दें!
पत्रकार एलेक मैक गिनेस का यह कहना कि “मेरा बेटा अपने जीवन काल में चार वित्तमंत्री, तीन गृहमंत्री, दो प्रधानमंत्री और दो सम्राट देख चुका है और अभी वह मात्र चार महीने का है!” ब्रिटेन की राजनीति में आयी भयंकर अस्थिरता पर करारा व्यंग्य है। ….. आपकी धारदार लेखनी, राजनीति पर जबरदस्त पकड़ और पैनी निगाह को सादर नमन। …… वैसे मेरी शुभकामनाएं ऋषि सुनक जी के साथ हैं।
लिज़ दिल्ली के केजरीवाल जैसी फ्री की रेवड़ी के चक्कर में ख़ुद के साथ पूरे देश का कबाड़ा कर चुकीं हैं, सच ये है कि ऋषि सुनक योग्य हैं लेकिन वे गोरे नहीं हैं इसलिए न पहले कोई संभावना थी और न ही आगे कोई उम्मीद दिखाई देती है, हालांकि हम आप इस उम्मीद पर खुश हो सकते हैं
ब्रिटेन की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर सटीक विश्लेषणात्मक आलेख।
आशा है आगे सोच समझकर प्रधानमंत्री का चुनाव किया जाएगा जोएक स्थाई सरकार दे सके एवं देश की स्थिति बेहतर कर सके।
बहुत अच्छे संदर्भ दिए हैं ।राजनीति ऐसा क्षेत्र है जिसमें अनुभव के बगैर काम नहीं किया जा सकता ।पद की गरिमा और ज्ञान से ही स्थायित्व संभव है।देश का मामला है और देश के नागरिकों के प्रति जवाबदेही भी । ब्रिटेन में प्रधानमंत्री ने जल्दी सोच लिया यह अच्छी बात है ।
दीपावली पर शुभकामनाएं
Dr Prabha mishra
हमारा प्रतिनिधित्व वही कर सकता है, जो हमारे जैसा हो! इस प्रकार लिज़ ट्रस ब्रिटेन का सही प्रतिनिधित्व कर रही थी- she is one of us! यही Brexit की भावना थी! अपना काम अपने आप- दूसरों के सहारे कब तक चलेगा!
सुनक या कोई अन्य नेता सफल हो- ऐसी कामना करनी चाहिए- किंतु ये management होगी प्रतिनिधित्व/नेतृत्व नहीं!
निखिल भाई राजनीति और साहित्य में यह सुविधा है कि हम एक ही विषय पर भिन्न भिन्न मत रख सकते हैं। प्रतिनिधित्व और नेतृत्व केवल बॉरिस जॉनसन कर रहे थे। उनके नेतृत्व में टोरी पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल की।
लिज़ ट्रस या ऋषि सुनक stop gap arrangements ही हो सकते हैं… अगले चुनाव तक।
राजनीति और विवाह इन दोनों में यदि परिपक्वता ना हो तो ट्रेन पटरी से उतर जाती है एलेक मैक का बहुत लाजवाब व्यंग। सबको फ्री का चाहिए। मुझे लगता था कि यह समस्या भारत में अशिक्षित और गांव में रहने वाले लोगों के कारण है किन्तु आपने मेरा भ्रम दूर कर दिया। इसके साथ एक भ्रम और भी है कि शायद अगले प्रधानमंत्री ऋषि सुनक हो।
शानदार आलेख….. ब्रिटेन के बदलते परिदृश्य का सूक्ष्म अवलोकन किया है आपने
धन्यवाद पल्लवी जी
पत्रकार एलेक मैक गिनेस का यह कहना कि “मेरा बेटा अपने जीवन काल में चार वित्तमंत्री, तीन गृहमंत्री, दो प्रधानमंत्री और दो सम्राट देख चुका है और अभी वह मात्र चार महीने का है!” ब्रिटेन की राजनीति में आयी भयंकर अस्थिरता पर करारा व्यंग्य है। ….. आपकी धारदार लेखनी, राजनीति पर जबरदस्त पकड़ और पैनी निगाह को सादर नमन। …… वैसे मेरी शुभकामनाएं ऋषि सुनक जी के साथ हैं।
धन्यवाद चंद्रशेखर आपका। हालात अनियंत्रित से लग रहे हैं।
लिज़ दिल्ली के केजरीवाल जैसी फ्री की रेवड़ी के चक्कर में ख़ुद के साथ पूरे देश का कबाड़ा कर चुकीं हैं, सच ये है कि ऋषि सुनक योग्य हैं लेकिन वे गोरे नहीं हैं इसलिए न पहले कोई संभावना थी और न ही आगे कोई उम्मीद दिखाई देती है, हालांकि हम आप इस उम्मीद पर खुश हो सकते हैं
आलोक आपने सही पकड़ा है।
ब्रिटेन की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर सटीक विश्लेषणात्मक आलेख।
आशा है आगे सोच समझकर प्रधानमंत्री का चुनाव किया जाएगा जोएक स्थाई सरकार दे सके एवं देश की स्थिति बेहतर कर सके।
बहुत अच्छे संदर्भ दिए हैं ।राजनीति ऐसा क्षेत्र है जिसमें अनुभव के बगैर काम नहीं किया जा सकता ।पद की गरिमा और ज्ञान से ही स्थायित्व संभव है।देश का मामला है और देश के नागरिकों के प्रति जवाबदेही भी । ब्रिटेन में प्रधानमंत्री ने जल्दी सोच लिया यह अच्छी बात है ।
दीपावली पर शुभकामनाएं
Dr Prabha mishra
प्रभा जी इस सार्थक टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपको और परिवार को त्यौहार मुबारक।
हमारा प्रतिनिधित्व वही कर सकता है, जो हमारे जैसा हो! इस प्रकार लिज़ ट्रस ब्रिटेन का सही प्रतिनिधित्व कर रही थी- she is one of us! यही Brexit की भावना थी! अपना काम अपने आप- दूसरों के सहारे कब तक चलेगा!
सुनक या कोई अन्य नेता सफल हो- ऐसी कामना करनी चाहिए- किंतु ये management होगी प्रतिनिधित्व/नेतृत्व नहीं!
निखिल भाई राजनीति और साहित्य में यह सुविधा है कि हम एक ही विषय पर भिन्न भिन्न मत रख सकते हैं। प्रतिनिधित्व और नेतृत्व केवल बॉरिस जॉनसन कर रहे थे। उनके नेतृत्व में टोरी पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल की।
लिज़ ट्रस या ऋषि सुनक stop gap arrangements ही हो सकते हैं… अगले चुनाव तक।
राजनीति और विवाह इन दोनों में यदि परिपक्वता ना हो तो ट्रेन पटरी से उतर जाती है एलेक मैक का बहुत लाजवाब व्यंग। सबको फ्री का चाहिए। मुझे लगता था कि यह समस्या भारत में अशिक्षित और गांव में रहने वाले लोगों के कारण है किन्तु आपने मेरा भ्रम दूर कर दिया। इसके साथ एक भ्रम और भी है कि शायद अगले प्रधानमंत्री ऋषि सुनक हो।
अंजु जी आपकी टिप्पणी interesting है। धन्यवाद।