नीलिमा टिक्कू की बाल-कथा – नानी का गाँव
शहर में तो छुट्टी के दिन घर में मम्मी पापा भी देर तक सोए रहते थे और बबलू भी देर से ही सोकर उठता था ।
बबलू की बात सुनकर नानी खिलखिला उठीं,”तुझे दिखाई नहीं दे रहा मैं अपने इन बच्चों के साथ ही तो बैठी हूँ|”
नानी ने प्यार से बबलू को सहलाते हुए कहा, “बेटा भूत- प्रेत कुछ नहीं होता है |यह सब हमारे मन का वहम है ।”
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नीलिमा टिक्कू जी आप की कहानी नानी का गाँव बहुत अच्छी लगी। बधाई स्वीकारें।