हम सभी के दिल में एक बच्चे का दिल छिपा रहता है। कहते हैं खुश रहना है दिल में छिपे बच्चे की बात मानो। मेरे दिल में भी एक छोटा बच्चा बैठा है। हमेशा जिद करता है, ‘… मेरे लिए लिखो…मेरे लिए लिखो…’ मैंने उसकी बात मान ली और अगस्त माह में पढ़ने वाले त्यौहारों की पूरी जानकारी समझा दी। इससे मनोरंजन तो हुआ ही, अच्छी – ख़ासी जानकारी भी मिल गई। 

उस दिन पंद्रह अगस्त था । शाम के सात पूरे बज भी नहीं पाये थे कि सारी की सारी की वानर सेना ने ज़ोर से बेल बजाई । वानर सेना नहीं बाबा, बहादुर सेना । एक बार दीदी ने वानर सेना कह दिया था तो सभी बच्चों का मूड खराब हो गया था ।  …. और अगस्त महीने के त्यौहारों भरे खुशगवार मौसम में, उन्हें नाराज नहीं करना था । उन सबको देखकर ऐसा लग रहा था, भारत के सारे सैनिक यहीं इकट्ठे हो गए हैं । सभी के ड्रेस पर तिरंगे झंडे का बैच लगा हुआ था । अरे…आप लोगों ने बैच क्यों नहीं निकाला अब तक …. ?” सब एक साथ बोल पड़े, ‘… नहीं हम नहीं निकालेगें, रात तक नहीं निकालेंगे,  …. हमारी टीचर ने दिया है” । नन्हें और सच्चे देशभक्तों के आगे दीदी मन ही मन नतमस्तक हो गई । “ठीक है पहने रहो, अच्छा एक मुझे एक भी दे दो” “नहीं, हम नहीं देंगे
अरे बाप रे ! सारी चीजें, सारी बातें मेरे साथ शेयर करने वाले, दीदी को इतना चाहने वाले बच्चों ने उन्हें तिरंगे वाला बेच देने से मना कर दिया । नन्ही जूही अपनी मीठी आवाज़ में बोली, “दीदी, हमारी काम वाली बाई का बच्चा मेरा बेच मांगने लगा तो मैंने ग्रांडपा से पैसे लिए और उसको दूकान से लाकर दे दिया, अपना वाला नहीं दिया” । 
“अच्छा तो अब ये बताओ, आज स्कूल में क्या हुआ ?” शुभम अपनी तोतली आवाज़ में बोला, “सात बजे हम स्कूल गए, बड़े सर ने झण्डा फहराया, हम सबने जन गन मन गाया, कुछ दीदी और भैया लोगों ने राष्ट्रीय गीत गाये, दो-तीन टीचर ने माइक पर कुछ बोला, बड़े सर ने भी कुछ बोला, फिर हम लोग थोड़े बोर हुये, सबको चाकलेट मिली, फिर हम घर आ गये”  । “बिलकुल सही है, पंद्रह अगस्त सभी स्कूलों में ऐसे ही मनाते हैं । पंद्रह अगस्त क्यों मनाते हैं, कौन बताएगा ? सौम्या अपना बड़प्पन बताते हुये बोली, “दीदी… दीदी मैं बताऊँगी” “हाँ ठीक है, बताओ सौम्या “15 अगस्त हमारा राष्ट्रीय त्यौहार है । पूरे देश में यह त्यौहार, बहुत उत्साह से मनाया जाता है, 15 अगस्त 1947 को, हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था । इसलिए हम इसे स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं…” ऐसा लग रहा था, घर से रटकर आई है । फोज़िया बोले बिना न रह सकी, झट से बोली “दीदी, आज इसने अपने स्कूल मेँ, स्टेज पर जाकर यही बोला था । ये सब इसके ग्रांडपा ने तैयार करवाया था  “वाह सौम्या आपके ग्रांडपा तो बहुत अच्छे हैं” ।  “हां दीदी, मुझे तो सब कुछ ग्रांडपा ही सिखाते हैं, पढ़ाई मेँ भी मेरी बहुत मदद करते हैं” “वाह वेरी गुड” । 
“देखो, ये अगस्त का महीना है । इस महीने मेँ और भी बहुत सारे त्यौहार होते हैं । रोहण बताओ, और कौन से त्यौहार होते हैं, इस महीने मेँ ?” “दीदी राखी का त्यौहार भी होता है । इस दिन बहिन भाई को राखी बांधती है और भाई उसे पैसे देते हैं” । “राखी बाँधने का मतलब होता है, भाई ज़िंदगी भर अपनी बहिन की रक्षा करेगा । ऐसी ही एक एतिहासिक बात मैं आपको बताती हूँ । पहले के समय में राजा-महाराजा, छोटी-मोटी बात पर भी एक-दूसरे से युद्ध करने लगते थे और कमजोर राज्य को हराकर उस अपने राज्य में शामिल कर लेते थे । चित्तोड की एक महारानी थीं, महारानी कर्णावती । विधवा रानी कर्णावती के राज्य पर, बहादुर शाह ने हमला कर दिया । रानी के पास ज्यादा सैनिक नहीं थे । रानी ने राजा हुमायूँ को पत्र लिखा और राखी भिजवाई और अपने राज्य की रक्षा के लिए सहायता मांगी । हुमायूँ ने रानी कर्णावती को अपनी बहिन माना और युद्ध में उसकी सहायता की” । 
दीदी ने बताया “हाँ, महाराष्ट्र में इसे नारियल पूर्णिमा भी कहते हैं । मछुयारे इस दिन समुद्र की पूजा करते हैं और समुद्र में सोने का नारियल चढ़ाते हैं” । रुही अपनी आँखों को गोल गोल बनाकर बोली, “बाप रे ! सोने का नारियल, उसमें तो कितने पैसे लगते होंगे….” तान्या अपनी होशियारी दिखते हुये बोली, “… छोटा-सा नारियल बनाते हैं, बुद्धू” ।  रोहण कब चुप रहने वाला था, कड़कती आवाज़ में बोले, “तुम लोग जन्म अष्टमी को भूल गए क्या ? मालूम है उस दिन क्या हुआ था ? उस दिन कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था । और उनके पिता नन्द बाबा, रात को ही उनको वृन्दावन छोड़ आए थे । 
आज दीदी को बहुत मजा आ रहा था, उन्हें कुछ बोलना ही नहीं पढ़ रहा था, बच्चे ही सब-कुछ बोलते जा रहे थे ।
“हूँ, कोई और त्यौहार अगस्त महीने का ? सबसे शैतान आरब दोनों हाथ उठाकर बोला । “दीदी गोविंदा … गोविंदा…” । तान्या कानों पर हाथ रखकर, बुजुर्गों की तरह  बोली, “हाँ बाबा, सुन लिया, इतना काहे को चिल्ला रहा है” ?  
नन्ही जूही अपनी मीठी आवाज़ में बोली, “हाँ दीदी, ऊपर एक हांडी बांध दी जाती है, सब लड़के एक के ऊपर एक चढ़ कर, उस हांडी को तोड़ते हैं, फिर उन्हें इनाम मिलता है” । 
“जूही आपने बिलकुल सही बताया, लड़के एक दूसरे के कंधे पर पैर रखकर ऊपर चढ़ते हैं, इसे मानव पिरामिड कहते हैं । हमारे देश के मानव पिरामिड पूरे दुनिया में प्रसिद्ध हैं । ये थोड़ा खतरनाक भी है, कभी – कभी भी दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं । और कोई कुछ बोलना चाहता है ?
सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे । बातूनी दिव्या उदास स्वर मेंबोली, “नहीं दीदी, और तो कोई त्यौहार नहीं है” । दीदी ने उनको याद दिलाया, “क्यों क्या आप ओणम को भूल गए, ओणम केरल का बहुत बड़ा त्यौहार हैअरे हाँ, हम तो भूल ही गए” ।  
“ओणम अगस्त माह में आता है । इस दिन राजा महाबली को याद करते हैं । यह त्यौहार दस दिन चलता है । इस अवसर पर पूरे घर को फूलों से सजाया जाता है । आपको पता है, काली मिर्च, इलायची, चाय, अदरक वगैरह केरला से ही आते हैं । इन्हीं दिनों ये फसल भी तैयार हो जाती है । … और एक महत्वपूर्ण बात, इस त्यौहार पर नौका दौड़ का भी आयोजन किया जाता है, और जीतने वाली टीम को ट्राफी दी जाती है । इस ट्राफी का नाम है, नेहरू ट्राफी” । और कोई त्यौहार आप लोगों को याद आ रहा है”?
अवनि जो अब तक शांति से सबकी बातें ध्यान से सुन रही थी ज़ोर से चिल्ला कर बोली, “दीदी नागपंचमी “शाबास ! नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा की जाती है । “और कोई बताओ सब बच्चे एक दूसरे का मुंह देखने लगे । “क्यों कजरी तीज भूल गए, जब सब महिलाएं एकत्रित होकर, माँ पार्वती के पूजा करती हैं” ।  
अच्छा अब मैं आपको ऐसे त्यौहार के बारे में बताती हूँ, जो बहुत कम लोगों को मालूम है । इस त्यौहार का नाम है “मद्रास वीक” । मद्रास वीक 22 अगस्त को मनाया जाता है । 22 अगस्त 1639 में मद्रास शहर की स्थापना की गई थे । मद्रास को ही आजकल चेन्नई कहा जाता है ।  
अब आप लोग समझ गए अगस्त माह में कितने सारे त्यौहार आते हैं । बहुत रात हो गई, आप लोग घर जाओ, और मम्मी पापा से इन त्यौहारों के बारे में बात करो, हो सकता है, मम्मी – पापा को शायद कोई और भी त्यौहार मालूम हों” । रोहण ज़ोर से चिल्लाकर बोला, “दीदी ये जूही तो हर चीज अपनी ग्रांडमा से ही पूछती है” । “पूछती हूँ, जा तेरे का क्या करने का, तू भी पूछना” 
“अरे बाबा आप लोग झगड़ा करोगे तो त्यौहारों का मजा चला जाएगा” । 
ओह ! सॉरी दीदी, गुडनाइट दीदी” सारे देशभक्त अपने अपने घर चले गए और दीदी भी अपने काम में लग गई ।

1 टिप्पणी

  1. बहुत सुन्दर प्रयास कीया है आपने. वैसे भी हिंदी पे आपका प्रभाव है.
    Proud of you

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.