ज़िंदगी में गर मिले गम गवारा कीजिए,
कभी तनहाई में भी रातें गुजारा कीजिए।
बेशक देते हैं आईने सबको पता उम्र का,
फिर भी अपने जुल्फों को संवारा कीजिए।
दुश्मनी करे जो आपका बनकर दोस्त,
ऐसे मित्रों से आप तुरंत किनारा कीजिए।
क्या पता ये नसीब कल क्या गुल खिलाए,
गरआपको जरूरत हो हमें पुकारा कीजिये।
यूं तो हमारी औलादों पर आयी है जवानी,
हमराज मेरे अब सलीके से इशारा कीजिए।
ज़रूरत होती हमसफ़र की दुर्गम राहों पर,
जो फ़िक करे उसका साथ गवारा कीजिए।