Saturday, July 27, 2024
होमग़ज़ल एवं गीतडॉ. यासमीन मूमल का गीत - उड़ जाए चुनरिया भी सर से

डॉ. यासमीन मूमल का गीत – उड़ जाए चुनरिया भी सर से

मिल जाये गली में वो हरदम, जब निकलूं मैं अपने घर से,
दिल में आंधी सी उठती है, उड़ जाए चुनरिया भी सर से।
मैं बूंद स्वाति की उसे लगूं
वो जब ख़ुद को चातक माने
हम प्रणय नीड़ के पंछी हैं
यह बात सकल जग अब जाने
जब जब दोनों का मन चाहे
तब प्रेम सुधा अविरल बरसे।
वह वासंती मौसम जैसा
मैं रंगबिरंगी होली सी
वह लोकगीत सा मधुर मधुर
मैं ग़ज़ल सरीखी भोली सी
मैं उसे देखने को आतुर
वह मुझे देखने को तरसे।
मैं जब नदिया बनकर बहती
वह बांह पसारे सागर सी
वह मीठे-मीठे जल सा है
मैं ठंडी ठंडी गागर सी
मैं जीभरकर इतराऊं जब
वो मुझे देखकर जब हरसे।
मिल जाये गली में वो हरदम, जब निकलूं मैं अपने घर से,
दिल में आंधी सी उठती है, उड़ जाए चुनरिया भी सर से
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest