जन-मन का गौरव देश मेरा
बन, नयी क्रांति की ज्योति जले
विश्वास रहे,अभिलाष रहे
ये चरण शिखर की ओर चलें,
जनमन-प्रिय अभिमत देश मेरा!!!!
चाहे कितनी घिरे आंधियां
बाधाएं घनघोर पले
संग लेकर सपनों की थाती,
हम नये क्षितिज की ओर चलें
जग उठे उम्मीदों का सूरज
अभिलाषाओं की भोर तले,
बढ़ चले कदम फिर रूकें नहीं
दृढ़ संकल्पों की ज्योति जले
ये चरण शिखर की ओर चलें,
गतिमय,चिर शाश्वत देश मेरा !!! हम नवयुग के जागृत प्रहरी संघर्षों में भी झुकें नहीं साहस के आगे नतमस्तक मुश्किल पथ पर भी थमे नहीं आंखों में जीत भरा सपना मंजिल की थामें डोर चले ये चरण शिखर की ओर चलें,
निर्भरतामय, हो देश मेरा!!!!!
जन-मन का गौरव देश मेरा,