Saturday, July 27, 2024
होमग़ज़ल एवं गीतत्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत - मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में...

त्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत – मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में

मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में ।
मैं जिधर जाता, उधर अरुणाभ आभा जाग जाती,
मोद से भर जिन्दगी फिर फिर खुशी के गीत गाती,
शक्ति भर देता नयी मैं, नीड़ में सोये परों में ।
मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में ।।
बांझ धरती में उगाता पुष्प, श्रम-सीकर लुटाकर,
झूमने लगती धरा सहसा मेरा स्पर्श पाकर,
जादुई ताकत लिए हूँ मैं, मेरे दोनों करों में ।
मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में ।।
मेघ घिर आते खुशी के जब कभी भी चाह होती,
मेघ-मालाएं लुटातीं विहंस कर अनगिनत मोती,
इन्द्रधनुषों के नये सपने जगाता जलधरों में ।
मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में ।।
दग्ध मन की हर परत में ऊर्जा के रंग भरता,
मैं असंभव को सदा ही संभवों के नाम करता,
और सहसा जा चमकता सुख लुटाते दिनकरों में ।
मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में ।।
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
त्रिलोक सिंह ठकुरेला समकालीन छंद-आधारित कविता के चर्चित नाम हैं. चार पुस्तकें प्रकाशित. आधा दर्जन पुस्तकों का संपादन. अनेक सम्मानों से सम्मानित. संपर्क - [email protected]
RELATED ARTICLES

1 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest