आमोद कुमार की ग़ज़ल – लोग बातें तो करते हैं, हँसते नहीं
झूठे शिकंजे अगर तुम कसते नहीं,
भीड़ मे तन्हाई भी शामिल हो गई,
बादल भी अब सियासतदाँ हो गए,
खुशियाँ माना तुम्हारी हैं महँगी बहु
अब तो दूर से ही हाथ हिला देते
खबर लॉक डाऊन की होती अगर,
इमदाद बीच मे जो गायब न होती,
“आमोद” थोड़ी तुम भी चापलूसी सीख
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