होम ग़ज़ल एवं गीत आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था ग़ज़ल एवं गीत आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था द्वारा आशा शैली - February 5, 2023 95 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet जिससे दामन बहुत बचाया था साथ उस ग़म ने ही निभाया था राज़ वह क्या करोगे तुम सुनकर दिल ने जो बारहा छुपाया था जिन्दगी इक भरम में गुज़री है साथ तू था न तेरा साया था मैं इबादत से बहल जाती हूँ यह नियम उम्र भर निभाया था सर को सजदे में उसके झुकने दे जिसके दर पे सुकून पाया था जीत पाये न हार ही पाये दांव यह किस तरह लगाया था उस पे फिर से यकीन क्यों शैली जिस से कल भी फरेब खाया था संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें अनिला सिंह चरक की ग़ज़लें विज्ञान व्रत की पाँच ग़ज़लें 1 टिप्पणी मेरी ग़ज़ल को स्थान देने के लिए आभार जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
मेरी ग़ज़ल को स्थान देने के लिए आभार