Saturday, July 27, 2024
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आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था

जिससे दामन बहुत बचाया था
साथ उस ग़म ने ही निभाया था
राज़ वह क्या करोगे तुम सुनकर
दिल ने जो बारहा छुपाया था
जिन्दगी इक भरम में गुज़री है
साथ तू था न तेरा साया था
मैं इबादत से बहल जाती हूँ
यह नियम उम्र भर निभाया था
सर को सजदे में उसके झुकने दे
जिसके दर पे सुकून पाया था
जीत पाये न हार ही पाये
दांव यह किस तरह लगाया था
उस पे फिर से यकीन क्यों शैली
जिस से कल भी फरेब खाया था
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