होम ग़ज़ल एवं गीत आशुतोष कुमार की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत आशुतोष कुमार की ग़ज़ल द्वारा आशुतोष कुमार - June 5, 2022 154 4 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet ज़िंदगी इश्क़ में सँवर जाये, जिस तरफ भी तेरी नजर जाये। आशिक़ी तो खुदा की नेमत है, दीद हो और आँख भर जाये। तू पिला दे जिसे यहां साकी, होश में फिर कहाँ वो घर जाये। प्रीत गहरी अगर पिया की हो, रंग मेंहदी की फ़िर निखर जाये। छू ले इक बार जो नज़र तेरी, ज़िन्दगी की थकन उतर जाये। है नया दौर ये मुहब्बत का, वो नहीं हद से जो गुज़र जाये। जल रहे हैं किसान खेतों में, आग देखो तो भूख मर जाये। आसमाँ है न तो ज़मीं बाकी, बोल इंसान अब किधर जाये। बाढ़ संभाल लें अगर जो हम, हँस के सूखा भी फ़िर गुज़र जाये। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था 4 टिप्पणी वाह आशुतोष जी उम्दा कहा Dr Prabha mishra जवाब दें जी प्रणाम हार्दिक आभार जवाब दें हंस के सूखा फ़िर गुज़र जाए… बहुत अच्छी रचना जवाब दें जी प्रणाम हार्दिक आभार जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
वाह आशुतोष जी उम्दा कहा
Dr Prabha mishra
जी प्रणाम हार्दिक आभार
हंस के सूखा फ़िर गुज़र जाए… बहुत अच्छी रचना
जी प्रणाम हार्दिक आभार