होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ गुरविंदर बांगा की ग़ज़ल – पहुंचती ही नहीं कोई दुआ अब... ग़ज़ल एवं गीत डॉ गुरविंदर बांगा की ग़ज़ल – पहुंचती ही नहीं कोई दुआ अब आसमानों पर द्वारा डॉ. गुरविंदर बांगा - October 10, 2021 66 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet मुसीबत क़हर बनकर टूटती है बेज़बानों पर पहुंचती ही नहीं कोई दुआ जब आसमानों पर थके हारे हुए इंसान तो लाचार होते हैं हमेशा भीड़ लगती है चढ़ावे की दुकानों पर वबाएं, हादिसे इस देश में पहले भी आते थे मगर इक जूं नहीं अब रेंगती हाकिम के कानों पर नए चेहरे चुनावों में दिखाई देने वाले हैं नज़र है हुक्मरां की इन दिनों कुछ क़ैदख़ानों पर किसी दिन हादिसे की देखना ‘बांगा’ ख़बर होगी निशां देखे गए है फिर चुनिंदा कुछ मकानों पर संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं नीलम वर्मा की ग़ज़ल त्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत – मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में डॉ. रश्मि कुलश्रेष्ठ के दो गीत कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.