होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – इश्क़ बदनाम हुआ अपनी ही नादानी... ग़ज़ल एवं गीत डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – इश्क़ बदनाम हुआ अपनी ही नादानी से द्वारा Editor - November 6, 2022 50 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet इश्क़ बदनाम हुआ अपनी ही नादानी से आप क्यों देख रहे हैं मुझे हैरानी से बुझ गई आग मेरे दिल की मेरे अश्कों से प्यास बुझ जाती इस बहते हुए पानी से प्यार के नाम पे बे मोल ही बिक जाऊंगी तुम मुझे जीत नहीं पाओगे मन मानी से ख़्वाहिशें पाल रहे हैं सभी दुनिया भर की और दुनिया कभी मिलती नहीं आसानी से सींचना होता है खुद अपने लहू से गुलशन मांगी जाती नहीं रौनक कभी वीरानी से हुक्म आया है करूं फिर कोई ताज़ा सजदा ख़ाक झाड़ी भी नहीं है अभी पेशानी से हर कोई शख़्स यहां ख़ुद में मग्न है रूबी हाल क्यों पूछने आए कोई दीवानी से डॉ रूबी भूषण 102, शिवराज अपार्टमेंट, ईस्ट बोरिंग कैनल रोड, पंचमुखी हनुमान मंदिर के समीप, पटना-800001 मोबाइल – +91-9931918723 Email – ruby4u30@gmail.com संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था 1 टिप्पणी Good जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
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