डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – इश्क़ बदनाम हुआ अपनी ही नादानी से
इश्क़ बदनाम हुआ अपनी ही नादानी से
बुझ गई आग मेरे दिल की मेरे अश्कों से
प्यार के नाम पे बे मोल ही बिक जाऊंगी
ख़्वाहिशें पाल रहे हैं सभी दुनिया भर की
सींचना होता है खुद अपने लहू से गुलशन
हुक्म आया है करूं फिर कोई ताज़ा सजदा
हर कोई शख़्स यहां ख़ुद में मग्न है रूबी
डॉ रूबी भूषण
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