गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी
पुख़्ता हो हर सड़क भी, कुशादा भी चाहिए
क्या क्या तुझे अता करूं ऐ दिल मुझे बता
इस दिल की ख़्वाहिशों की कोई इंतहा नहीं
बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी
फ़ितरत हमारी औरों से बिल्कुल जुदा नहीं
मरती नहीं है भूख सुख़नवर की दाद से
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