ग़ज़ल एवं गीत निधि भार्गव ‘मानवी’ की ग़ज़ल द्वारा निधि भार्गव मानवी - January 9, 2022 2 99 प्यार तुम्हारा सबसे जुदा है, समझो न कैसे बताऊँ दिल में क्या है, समझो न तुम छूलो तो पत्थर सोना बन जाए तुम से लिपट कर जान लिया है, समझो न इतना प्यार कहाँ से लेकर आए हो दिल ये जिसमें डूब गया है, समझो न शर्म-ओ-हया की बेड़ी हमको जकड़े है वर्ना क्या क्या टूट रहा है, समझो न अंदर अंदर इश्क़ का कोपल फूट रहा रोग ये मुझको कैसा लगा है, समझो न जान हथेली पर ले कर हम निकले हैं इश्क़- ओ- वफा का पाठ पढ़ा है, समझो न मेरी ग़ज़लों में प्यार निधि का देखो लफ़्जों में तेरा जलवा है, समझो न
निधि भार्गव जी की प्यार में डूबी गजल बढ़िया।
आप पत्रिका पढ़ती हैं अनिता जी… हमारे लिये विशेष प्रसन्नता की बात है।