निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल
छन-छन के हुस्न उनका यूँ निकले नक़ाब से।
पानी में पाँव रखते ही ऐसा धुआँ उठा।
जल में ही जल के मछलियाँ तड़पें इधर-उधर।
तौहीन प्यार की है करे बेवफ़ा से जो।
जी भर पिलाई साक़ी ने कुछ भी नहीं चढ़ी।
बचपन की याद फिर से हमें आज आ गई।
घुट-घुट निज़ाम अच्छा नहीं जीना प्यार में।
RELATED ARTICLES