होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - August 14, 2022 98 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet छन-छन के हुस्न उनका यूँ निकले नक़ाब से। जैसे निकल रही हो किरण माहताब से।। पानी में पाँव रखते ही ऐसा धुआँ उठा। दरिया में आग लग गई उनके शबाब से।। जल में ही जल के मछलियाँ तड़पें इधर-उधर। फिर भी नहा रहे न डरें वो आज़ाब से।। तौहीन प्यार की है करे बेवफ़ा से जो। धोका है आस रखना वफ़ा की जनाब से।। जी भर पिलाई साक़ी ने कुछ भी नहीं चढ़ी। हाथों से उनके पीते नशा छाया आब से।। बचपन की याद फिर से हमें आज आ गई। जब से मिले हैं फूल ये सूखे किताब से।। घुट-घुट निज़ाम अच्छा नहीं जीना प्यार में। खुलकर जियो ये ज़िंदगी अपने हिसाब से।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं नीलम वर्मा की ग़ज़ल त्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत – मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में डॉ. रश्मि कुलश्रेष्ठ के दो गीत कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.