Saturday, July 27, 2024
होमग़ज़ल एवं गीतनिज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल

निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल

छन-छन के हुस्न उनका यूँ निकले नक़ाब से।
जैसे  निकल  रही  हो  किरण  माहताब  से।।
पानी  में  पाँव  रखते  ही  ऐसा  धुआँ  उठा।
दरिया में आग  लग  गई  उनके  शबाब से।।
जल में ही जल के मछलियाँ तड़पें इधर-उधर।
फिर भी  नहा  रहे  न  डरें  वो  आज़ाब  से।।
तौहीन  प्यार  की  है  करे  बेवफ़ा  से  जो।
धोका है आस  रखना  वफ़ा की जनाब से।।
जी भर पिलाई साक़ी ने कुछ भी नहीं चढ़ी।
हाथों से उनके  पीते  नशा  छाया  आब से।।
बचपन की याद फिर से हमें आज आ गई।
जब से मिले  हैं  फूल  ये  सूखे  किताब से।।
घुट-घुट निज़ाम अच्छा नहीं जीना प्यार में।
खुलकर जियो ये ज़िंदगी अपने हिसाब से।।
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest