होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - September 19, 2021 195 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet सारे जहाँ में कोई, हमदम नहीं हमारा। हमदर्द बन के आख़िर, सब ने किया किनारा।। नादान दिल को मेरे, धोखा दिया उन्होंने। जिनका था ज़िंदगी में, हमको फक़त सहारा।। अनजान बन गए वो, बर्बाद करके मुझको। फिर भी ये दिल उन्हें कुछ, कहता नहीं बेचारा।। अरमान दिल के सारे, दिल में मचल रहे हैं। अर्ज़े वफा भी करना, हमको नहीं गंवारा।। रुख़ से नक़ाब हटते, इक आह दिल से निकली। मैं बेखुदी में उनका, करता रहा नजारा।। तारीकियों में भटके, इस आस पर सदा हम। चमकेगा एक दिन तो, तक़दीर का सितारा।। मरने का ग़म नहीं है, ग़म तो निज़ाम ये है। अपनी ही सादगी ने, अपना गला उतारा।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.