होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - January 2, 2022 36 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet वो बचा रहा है गिरा के जो, वो अज़ीज़ है या रक़ीब है। न समझ सका उसे आज तक, कि वो कौन है जो अजीब है।। मेरी ज़िंदगी का जो हाल है, वो कमाल मेरा अमाल है। जो किया उसी का सिला है सब, मैंने ख़ुद लिखा ये नसीब है।। जिसे ढूँढता रहा उम्र भर, रहा साथ-साथ दिखा न पर। मेरा साथ उसका अजीब है, न वो दूर है न क़रीब है।। जहाँ दिल में प्यार बसा हुआ, वहीं जन्म शायरी का हुआ। जो क़लम से आग उगल रहा, वो नजीब है न अदीब है।। भरी नफ़रतें जहाँ दिल में हों, वहाँ दिल सुकूँ कहाँ पाएगा। जो फ़िज़ा में ज़हर मिला रहा, वो मुहिब नही है मुहीब है।। वो डरे ज़माने के ख़ौफ़ से, जिसे मौत पर है यक़ीं नहीं। मैं डरूँ किसी से जहाँ में क्यूँ, मेरे साथ मेरा हबीब है।। यहाँ आया जो उसे जाना है, यही ला-फ़ना वो निज़ाम है। है करम ख़ुदा का उसी पे सब, जो अमीर है न ग़रीब है।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए सुभाष पाठक ‘ज़िया’ की ग़ज़लें डॉ. यासमीन मूमल का गीत – उड़ जाए चुनरिया भी सर से Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.