निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल
वो बचा रहा है गिरा के जो, वो अज़ीज़ है या रक़ीब है।
मेरी ज़िंदगी का जो हाल है, वो कमाल मेरा अमाल है।
जिसे ढूँढता रहा उम्र भर, रहा साथ-साथ दिखा न पर।
जहाँ दिल में प्यार बसा हुआ, वहीं जन्म शायरी का हुआ।
भरी नफ़रतें जहाँ दिल में हों, वहाँ दिल सुकूँ कहाँ पाएगा।
वो डरे ज़माने के ख़ौफ़ से, जिसे मौत पर है यक़ीं नहीं।
यहाँ आया जो उसे जाना है, यही ला-फ़ना वो निज़ाम है।
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