होमग़ज़ल एवं गीतसपना सक्सेना की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत सपना सक्सेना की ग़ज़ल By सपना सक्सेना August 29, 2021 0 111 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp हर सुबह बदलता है हर शाम बदलता है मौसम की तरह पल पल इंसान बदलता है कैसा यकीं उसका जो खुद को नहीं हासिल कपड़ों की तरह देखो ईमान बदलता है कहता है जिसे अपनी जागीर नहीं तेरी ये वक्त है होकर मेहरबान बदलता है उलझा है दीवाना अपने ही सायों में कभी राह कभी मंजिल नादान बदलता है जो साथ नहीं कोई तो ग़म न करो इसका गिर गिर कर उठना ही पहचान बदलता है Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखबालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’ की तीन लघुकथाएँअगला लेखसंपादकीय – हींग लगे न फिटकरी…! सपना सक्सेनासम्पर्क - [email protected] RELATED ARTICLES ग़ज़ल एवं गीत मनोज कुमार मनोज के गीत August 17, 2024 ग़ज़ल एवं गीत तेजनारायण शर्मा की ग़ज़लें August 3, 2024 ग़ज़ल एवं गीत डॉ आरती कुमारी की ग़ज़लें July 27, 2024 कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 अपनी बात…… April 6, 2018 और अधिक लोड करें Latest ‘विविध भारतीय भाषा संस्कृति संगम’ द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन October 19, 2024 डॉ. मोनिका देवी की कहानी – तड़पती जिंदगी October 19, 2024 दिलीप कुमार की संस्मरण-कथा – भागे हुए लड़के October 19, 2024 आशमा कौल की कविताएँ October 19, 2024 और अधिक लोड करें