होम ग़ज़ल एवं गीत सूबे सिंह सुजान की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत सूबे सिंह सुजान की ग़ज़ल द्वारा सूबे सिंह सुजान - December 25, 2022 88 3 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet धुआं जम गया है, हवा की कमी से। कोई जैसे नाराज़ है ज़िन्दगी से।। न अब धूप अच्छी न मौसम खुला है, गगन को,धरा को, ढका है नमी से।। हवा,आग, पानी खफा हो गए हैं, शिकायत है आकाश को आदमी से। हमीं ने बनाये, उदासी भरे दिन, कि मौसम मिले आज बेमौसमी से। हमें खेत जंगल बनाने पड़ेंगे, हमारी हवा ठीक होगी उसी से। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं दीपावली पर विशेष : वशिष्ठ अनूप का गीत कमलेश कुमार दीवान का दीपावली पर एक गीत – आओ अंतर्मन के दीप डॉ. रूबी भूषण की दो ग़ज़लें 3 टिप्पणी धन्यवाद जी पुरवाई टीम को नमस्कार जवाब दें धन्यवाद जी पुरवाई टीम को नमस्कार ।।।। जवाब दें बहुत सुंदर रचना सुजान जी जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
धन्यवाद जी
पुरवाई टीम को नमस्कार
धन्यवाद जी
पुरवाई टीम को नमस्कार ।।।।
बहुत सुंदर रचना सुजान जी