होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - May 1, 2022 94 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet मुझपे मौला करम की नज़र कीजिए। अब दुवाओं मे मेरी असर कीजिए।। मैं हकीकत में कितना गुनहगार हूँ। मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए।। आसरा है फक़त तेरा ही बस मुझे। रहम कुछ तो मेरे हाल पर कीजिए।। रात ग़म की अंधेरी ये कटती नहीं। जल्द इसकी ख़ुदाया सहर कीजिए।। अर्ज इतनी है या रब मुझे बख्श दे। जब मरूँ खुल्द में मेरा घर कीजिए।। है निज़ाम इस जहाँ का फ़ना होंगे सब। आगे आसान मौला सफ़र कीजिए।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.