ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - May 1, 2022 0 20 मुझपे मौला करम की नज़र कीजिए। अब दुवाओं मे मेरी असर कीजिए।। मैं हकीकत में कितना गुनहगार हूँ। मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए।। आसरा है फक़त तेरा ही बस मुझे। रहम कुछ तो मेरे हाल पर कीजिए।। रात ग़म की अंधेरी ये कटती नहीं। जल्द इसकी ख़ुदाया सहर कीजिए।। अर्ज इतनी है या रब मुझे बख्श दे। जब मरूँ खुल्द में मेरा घर कीजिए।। है निज़ाम इस जहाँ का फ़ना होंगे सब। आगे आसान मौला सफ़र कीजिए।।