होम ग़ज़ल एवं गीत अशोक व्यास की दो ग़ज़लें ग़ज़ल एवं गीत अशोक व्यास की दो ग़ज़लें द्वारा Editor - July 30, 2023 28 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 1 किसी सपने को जगाया जाये इस तरह ख़ुद को बचाया जाये नदी ये ज़िंदगी की रुक रही है गति का गीत फिर गाया जाये बेवजह लग रही हर बात अगर चलो बिन बात मुसकुराया जाये कहाँ हूँ, क्यूँ हूँ, ये ख़बर पाने किससे पूछें, कहाँ जाया जाये सैलाब थम तो गया आंसू का इसी का जश्न मनाया जाये 2 बेबसी का लॉकेट सा बनवाया है ख़ुद पहना और हमें भी पहनाया है सिसकते रंगों का दर्द नकार दिया काले रंग की शान में गीत गाया है शिष्ट दिखते रहने की ज़िद लेकर हमने घर, बस्ती, नगर और मुल्क को गँवाया है लपटें उठा गया जिनका ग़ुस्सा किताबों तक अख़बार उन पे अंगुली उठाने में भी शर्माया है ज़िंदा बचे रहे जो मर जाने का डर लेकर जीने का हुनर उनसे आगे निकल आया है धुएँ की लिखाई को हम पढ़ नहीं पाए पर जीने की चाह लेकर विश्वास बचाया है हर रास्ते को रोशन करने निकल पड़े हम हर शब्द सारथी है, सच साथ में आया है अशोक व्यास न्यूयॉर्क (अमरीका) मोबाइलः 00-1-(917) 573-7775 संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र का गीत – कभी सोचा नहीं था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.