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मधु अरोड़ा
मुंबई के व्यस्ततम इलाके फोर्ट में पान की एक छोटी सी दूकान पर जगदंबाप्रसाद दीक्षितजी की एक झलक…अच्छी क़द-काठी..गंभीर और ग़हरी आवाज़ और ठहाकेवाली हंसी के मालिक…मेरा उनसे हल्की सी नमस्ते का लेन-देन और मन ही मन उनको अपना ग़ुरु मान लेना…बस, इतनी सी ही कहानी है। साथ ही यह सोचना कि इतने बड़े लेखक से जब बात करूंगी तो कैसे करूंगी शुरुआत…कहीं मिलने से मना कर दिया तो…अपनी इज्ज़त की तो किरकिरी हो जायेगी। ऊपर से मैं लेखक भी नहीं हूं तब तो शायद सवाल ही नहीं उठता बात करने का…शायद लेखक लेखक से ही बात करना पसंद करता हो…मन में अनेक संशय।
जब हम रिज़र्व बैंक के जुहुवाले क्वार्टर में शिफ्ट हुए तो पता चला कि सर का भी जुहु पर कॉटेज है। उन दिनों कथाकार तेजेन्द्र शर्मा यारी रोड पर रहते थे। सर और तेजेन्द्रजी बहुत ही ग़हरे और पारिवारिक मित्र हैं। याद आता है उनके साथ ही सर पहली बार हमारे घर आये थे और फिर यह सिलसिला जारी रहा। जब मेरा मन होता तो मैं सर को फोन कर देती। वे तेजेन्द्र शर्मा के साथ आते और आसपास रहनेवाले लेखक..सुधा अरोड़ा, जितेन्द्र भाटिया, को भी बुला लेते। उन दिनों मैं मेजबान हुआ करती थी। ये सब लोग खूब बात करते और मैं खाने-पीने का इंतज़ाम। मन ही मन खुश होती कि अपनी सहेलियों के सामने गर्व से कह सकूंगी कि दीक्षितजी जिन्होंने ‘सर’, ज़िस्म, एक बार फिर’ जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी है, उन्होंने मेरे हाथ का खाना खाया है। यह सोचकर ही खुश हो जाती थी।
उन दिनों मुझे हिंदी लेखकों के साक्षात्कार लेने में दिलचस्पी जागी थी। एक दिन सर को फोन किया, ‘सर, मैं आपसे बातचीत करना चाहती हूं, इसे आप साक्षात्कार कह लीजिये। क्या आप समय देंगे…आशा के विपरीत वहां से अपनेपन से परिपूर्ण आवाज़ आई, ‘हां, क्यों नहीं..कल शाम को आ जाओ।‘ दूसरे दिन मैं अपना राइटिंग पैड और पैन लेकर पहुंच गई थी। आप विश्वास मानिये, उस दिन पूरे तीन घंटे उन्होंने दिये और मेरी बातचीत को पूर्णता दी। मैं हैरान थी और ऊपर से पूछा, ‘इतना बस होगा न..’ मैंने हंसकर कहा, ‘सर, आपने तो इतनी धरोहर दे दी, मेरी उम्मीदों से कहीं ज्य़ादा।‘ उनसे बातचीत के दौरान पाया कि उनके मन में ‘मां’ के प्रति एक विशेष आदर और सम्मान था। उनके अनुसार, ‘मां के रूप में स्त्री जो सहती है जितना कुछ झेलती है, वह उसे एक विशिष्ट दर्जा़ देता है जो पुरुष पीड़ा से उसे काफ़ी ऊपर उठा देता है। इस बात को स्वीकार करना ज़रूरी है’।
