होम कविता कामिनी गुप्ता की कविता – इक कसक सी कविता कामिनी गुप्ता की कविता – इक कसक सी द्वारा कामिनी गुप्ता - January 10, 2021 165 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet इक कसक सी कहीं तो कभी रह ही जाती है, दिल सोचता कुछ है पर कहां चल पाती है। इक काश ….सा जीवन में जब रह जाता है, बात बेबात वो रह रहकर फिर यूं तड़पाता है। क्यों कभी-कभी कुछ रिश्ते अधूरे रह जाते हैं, बीच भंवर में जब अजीज़ अपने छोड़ कर जाते हैं। यादों को तो संग रहना होता है, वो रहती हैं बरसों तलक, क्यों नहीं भूलती कुछ खास बातें चाहकर भी बरसों तलक। गर चाहने से सहज ही हो जाता सब कुछ जीवन में तो, कौन समझ पाता इस ज़िन्दगी के गहरे रंगों के महत्व को। चलो जी लें हर वो पल जो कहीं दस्तक देता है चुपके से, रह जाएंगे नहीं तो किस्से ही बन जीवन के किसी हिस्से के। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं एका गोस्वामी की कविताएँ निहाल सिंह की दो कविताएँ मालिनी गौतम की दो कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.