Friday, October 11, 2024
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अजयश्री की व्यंग्यकथा

“क्या बतायें,आजकल क्वार्टर की जगह हाँफ हो जा रहा है” सुन्नर बाबू बेतकल्लूफ़ी को दरकिनार कर,मुँह से धुवाँ छोड़ते हुए बोले !
धरम जी को रहा नहीं गया,बोल पड़े-देखो कम पीया करो,रोज-रोज इतना पीना ठीक नहीं ?सेहत तो सेहत पैसे की बर्बादी अलग !
बात काटते हुए सुन्नर बाबू बोले:-क्या बात करते हैं आप ?पैसे की कोई कमी है|माना आजकल कमाऊ सीट पर नहीं हूँ ,पर इतना माल पेल के कमाया हूँ कि कौनों चिंता नहीं है,खाते-पीते रहो मस्त रहो |
 “अरे माल कमाए हो तो क्या,सब पी के पेसाब कर दोगे?” धरम जी अपना बडक्पन दिखाते हुए बोले |
इस बार सुन्नर बाबू अपना आपा खो बैठे:-किसी के बाप का दिया नहीं पीता हूँ|क्या समझते हैं हमको और क्या समझते हैं अपने आप को ?किस्सी से कम मूतते हैं क्या !अभी कल ही सिग्नेचर का पूरा खम्भा (बोतल) खत्म कर दिए दो लोग मिल कर,नमक और मूंगफली के साथ नहीं ,हाई-फाई अफ़गानी चिकेन रेस्टोरेंट के चिकन के साथ ! वह तो कहीए साली का फोन आ गया नहीं तो एक खम्भा और निगल लेते !देशी ठर्रेबाज समझते हैं हमको ?अरे आजकल अपना भी स्टैंडर्ड है|
सुन्नर बाबू अपने मन का मलाल बार–बार धुएँ के साथ निकालते रहे|
जिग्नेश समझाते हुए टोके :-अरे सुन्नर कम फूकों सिगरेट, बात करने की तमीज भूल गए हो ?धरम जी कुछ भी हो उम्र और पद दोनों में तुमसे बड़े हैं |कुछ कह रहे हैं तो कुछ सोच के ,बात को समझा करो ;लगता है,रात की उतरी नहीं?माहौल हल्का करने के लिए बोलते हुए जिग्नेश जी हँस पड़े!
     वैसे तो जिग्नेश अधिकारी हैं !पर मूलत: वह अपने आप को आज भी शिक्षक की भूमिका में देखते हैं |दरसल इस नौकरी में आने से पहले ये इंटर कालेज में मैथ के टीचर थे |मलाल इस बात का है कि,यहाँ अधिकारी होने के बाद भी आज तक इनको बैठने की कोई निश्चित जगह नहीं मिली जिसे कह सके कि यह हमारी सीट है|इससे अच्छा तो टीचरी थी ,कम से कम सुबह शाम दस लोग पैर छूते थे |मान-सम्मान अलग |सेल्फ़ रिस्पेक्ट भी कोई चीज होती है |निदेशालय का कोई चपरासी या बाबू इनको या किसी भी क्लास टू ऑफीसर को बड़े बाबू से ज्यादा कुछ नहीं समझता ! शायद इसी लिए बात-बात में बताना नहीं भूलते कि आई एम पोस्ट ग्रेजुएट इन मैंथ | यहाँ आके साला बाबूगीरी कौन कहे चपरासी का भी काम करना पड़ता हैं |खुद ही घंटी बजाओ और आकर पूछो सर क्या लाऊ ?हम लोगों से तो अच्छे चपरासी हैं जो किसी से नहीं डरते |कोई दुबारा एक बोतल पानी मांग के दिखा दे ?जेडी,एडी क्या डायरेक्टर की हिम्मत नहीं हैं की जोर से डाट दें?
सुन्नर “दिल आशिकाना और ज्ञान बाटों” वाली कहावत चरित्रार्थ करते हुए बोले :-
      जिग्नेश जी अपना वसूल है कि काम करने से पहले पूरा पैसा एडवांस ,इससे बाद में कोई टेंसन नहीं रहता | वरना होता क्या है ; काम हो गया तो आदमी लगता है अपनी औकात दिखाने !कुछ कम कर लिजिए,अकेले आप ने ही तो सब नहीं किया,अब आप को क्या बताएं आजकल बड़ी परेशानी में हूँ |
      और तो और ये भी बताते हैं कि-अरे मेरे चाचा के दामाद कह रहे थे कि,पहले बताते तो फ्री में करावा देते |अच्छा आप नाम बताईए देखता हूँ | इन सब झंझटों से छुटकारा मिल जाता है |आदमी जब पैसा एडवांस दे देता है तो ज्यादा चु-चपड़ नहीं करता,अपने ग्रिप में रहता है, जैसे चाहो घुमाओं|
      ऐसे ही नहीं टीके हैं दस साल से यहाँ जिग्नेश जी ? अच्छा खासा ग्रिप में था जनपद से आया बन्दा ,भड़का दिया इन्होने उस दिन, सुबह-सुबह बोहनी खराब कर दी !साला मूड खराब कर दिया ;अरे चाय पिलाओ संतोस, थोड़ी पत्ति टाईट कर देना |
धरम जी ने सुन्नर बाबू को देखते हुए कहा:-
      देखो भाई; जाड़ा,गर्मी और बरसात मैं हमेशा फैजाबाद से सुबह पांच बजे चलकर साढे आठ या पौने नव बजे महानिदेशालय पहुँच जाता हूँ |गेट पर बुढ़िया की दुकान पर एक चाय लेता हूँ और उसी का पेपर आराम से पढ़ डालता हूँ|तब तक नव बजकर सत्ताईस मिनट हो जाता हैं |चलते वक्त बुढ़िया के दुकान से दो पैकेट पारले जी बिस्किट लेता हूँ और चाय सहित कुल पन्द्रह रूपए देता हूँ |पाँच चाय की और पाँच-पाँच दो पैकेट बिस्किट के उसके बाद सीधा साढ़े नौ बजे थमं-इप्रेशन पर अंगूठा लगा देता हूँ |
     आमूमन मैं ही पहला आदमी होता हूँ कार्यालय पहुँचने वाला|एक पैकेट बिस्किट वही बैठें होमगार्ड को देता हूँ ,वो तबियत से सलाम ठोकता है तो रास्ते की सारी थकान मिट जाती है |बस वही से कुतिया मेरे पीछे-पीछे लग जाती हैं |
     प्रथम तल पर अपने कमरे पहुँच कर बैग रखता हूँ ,राधे-कृष्णा का नाम लेता हूँ |फिर बारह बिस्किट के पैकेट से तीन निकाल कर उसके छै टुकड़े कर के कुतिया के सामने डाल देता हूँ |वो बड़े चाव से खाती और पूंछ हिलाती रहती है,देखकर मन को बड़ा सुकून मिलता है |बाकी बचे नौ बिस्किट ,दोपहर दो से तीन के बीच और शाम छै बजे कार्यालय से निकलते वक्त कुतिया को खिला देता हूँ |उसे समय मालूम है वह खुद आ जाती है|
      पर धरम जी आज आप की कुतिया तो सुबह के बाद अभी तक दिखी नहीं, जिग्नेश ने चुटकी ली |
तो क्या हुआ जिग्नेश जी ,शाम को चलते वक्त बची बिस्किट गार्ड को दे दूंगा;कह दूंगा कि भाई आज कुतिया नहीं आई उसका हिस्सा भी रखा लो,इससे इंसान और जानवर के बीच का समभाव बना रहेगा|भाई मैं तो इस सोच का आदमी हूँ |
      इस लिए मुझे पैसे का धौंस न दिखाओ !न मैं लेता हूँ न मैं देता हूँ |धरम जी ने सुन्नर बाबू को इगित करते हुए बात कही |
काहें झूठ-मूठ इज्जत का फेस मास्क लगा रहे हैं |बोलते हुए सुन्नर बाबू अपनी रौ में आ गए ;कौन नहीं जानता कि फैजाबाद में क्या करते थे आप ?यहाँ बड़े ईमानदार बने फिरते हैं |सारा पैसा फर्जी बिल–बाउचर बना कर खा गए आप लोग और डकार तक नहीं ली ,बात करते हैं !
     अब इतना भी बढ़-बढ़ कर मत बोलिए सुन्नर बाबू ,बहुत देर से आप की लंतरानी सुन रहा हूँ |अपनी पर आ जायेंगे तो भूल जायेंगे कि अधिकारी हैं | मुँह लाल करते हुए धरम जी गुस्से से बोले थे |
     सुन्नर बाबू आग में पेट्रोल की तरह मिलते ही भभक पड़े|गुस्से में आस्तीन चढ़ाते हुए बोले:-क्या कर लोगे ,जो उखाड़ना हैं उखाड़ लो |सीट गई औकात गई |अगले महीने रिटायर हो रहे हो न ,देखूंगा कैसे तुम्हारी पेंसन और जी पी एफ के पेपर बनते हैं !
धरम जी तमतमाते-बड़बड़ाते हुए चले गए –जिग्नेश जी समझा दीजिये इनको नहीं तो परेशानी में पड़ जायेंगे ?नौकरी मुश्किल हो जायेगी !
    अरे भाई सुन्नर तुम तो नाराज हो गए ,जिग्नेश जी बात सभालते हुए समझाने लगे;अब इतने दिन साथ काम किये हम लोग क्या सेवा-निवृति के समय लड़ाई कर के बिदाई करोगे ?
    कैसी बिदाई जो आदमी आजतक एक बोतल दारु नहीं पिलाया ,खैर दारु छोडिये एक कप चाय नहीं पिलाया हो ,उसकी सेवानिवृति क्या बिदाई सम्मान क्या ?इससे पच्चीस हजार से कम नहीं खर्च करवाउंगा ,पेंशन बनवाने में |तब देखिएगा कैसे इसकी निचे से फटती है |चिल्लाएगा कोई सिलने वाला नहीं मिलेगा |अधिकारी बनता है साला; सुन्नर बाबू पूरी भड़ास जिग्नेश पर निकाले जा रहे थे |
     धरम जी तमतमाये सीधे सयुक्त निदेशक के कमरे में घुस गए | बिना किसी भूमिका के कहना शुरू किया :-अब देखिये सर ये समय आ गया है कि कल का बाबू कहता है कि तुम जैसे अधिकारियों को अपने ठेगें पर {शरीर के व्यक्तिगत अन्दरूनी पार्ट की ओर इशारा करते हुए }रखता हूँ |तुम्हारी औकात क्या है ?जब मैं जेडी ,एडी को कुछ नहीं समझता तो तुम क्या चीज हो ?
 अरे क्या बात हो गयी धरम जी ? प्रश्न किया जेडी ने,आइये बैठीये ,आराम से बताइए क्या हुआ ?
     हुआ क्या सर ,बस ये समझ लीजिए नंगा कर के रख दिया सुन्नर बाबू ने सबके सामने !जनपद से एक कर्मचारी आया था |किसी जांच में फसा हुआ है |निदेशक साहब से मिल कर मामला रफा दफा करना चाह रहा था और सुन्नर  बाबू हैं ,उसे घुमाने में लगे थे कि कुछ माल-पानी ऐठ ले |मैंने बस उसे निदेशक साहब से मिलवा दिया ,तो आग बबूला हो गये सुन्नर  बाबू ;कहने लगे कितना माल लिया है उससे ,मेरा हिस्सा दीजिए ?अब आप बताइए सर कि मैंने क्या गलत किया ,आप को लगता है मैं निदेशक साहब से मिलवाने के लिए पैसा लूंगा ?धरम जी आँखों से जबरदस्ती आँसू निचोड़ते बोले |
हँसते हुए बोले जेडी साहब ने ;-आप भी कमाल करते हैं धरम जी ,बस इतनी सी बात है ,बताइये क्या चाहते हैं?
     इतना सुनते ही धरम जी एकदम से रोनी सूरत बदलकर कुटिल अधिकारी की भूमिका में आ गए :-बस इतना कर दीजिए कि सुन्नर बाबू जब बजट में थे तो एक इक्व्यरी ए जी ऑफिस से हुई थी ,जिसे उनहोंने ले देकर दबा दिया था ,बस आप एक अनुस्मारक दे कर उनसे पूछ लीजिए कि,दस दिन के अन्दर वो बताए कि अब तक जिन बिदुओं पर उनसे जवाब तलब किया था उसका उत्तर अब तक क्यों नहीं दिया ?क्यों न आप के विरुद्ध अनुशासत्मक कार्यवाही की जाए ?
    अब आप कह रहे हैं तो इतना तो करना ही पड़ेगा आख़िर फैजाबाद का साथ है हमारा आपका; लेकिन कम आप भी नहीं हैं ? वैसे भी ये सुन्नर कुछ ज्यादा ही स्मार्ट बनाता है !जेडी साहब ने पूरी गंभीरता से कहा |
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     सुन्नर बाबू हाथ में आरोप पत्र लिए जिग्नेश जी के बिना कुर्सी वाले कमरे में घुसते हुए ;तवे पर रखे कलौंजी वाली सब्जी की तरह छनछना हुए बोले :-देखा जिग्नेश जी आप कह रहे थे कि धरम जी बहुत सीधे-साधे इंसान हैं|अरे बहुत बड़ा माधर ….है वो |देखीए क्या भिजवाया है उन्होंने ,मेरी जाँचकरवा रहे हैं ?
जिग्नेश जी पत्र लेकर पढ़ने लगे |पढ़ने के बाद गहरी साँस लेते हुए बोले हूँ ))))) मसला गंभीर हो गया !
गंम्भीर नहीं बहुत गंम्भीर बना दिया साले ने ,मेरी फाड़ने पर तुला है ?सुन्नर बाबू सुलगने लगे |जिग्नेश जी समझाइए उसे नहीं तो मैं कुछ कर डालूँगा उनके साथ ?
जिग्नेश जी गुस्साते हुए बोले:-मैंने तो तुम से पहले ही कहा था कि जबान सम्हाल के बोला कर पर तुम तो शुरू हो जाते हो तो चुप होने का नाम नहीं लेते| देखो धरम जी से बाद में मिलना पहले जे डी साहब से मिल लो ,कहो तो चलूँ ?
   सर हिलाते हुए सुन्नर ने सहमति दे दी |
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चश्मा उतारते हुए जेडी साहब ने बेल बजाई |चपरासी अन्दर आते ही बोले :-ऐसा है किसी को अन्दर मत आने देना और हाँ तीन कप चाय ले आओ ?पैसा सुन्नर बाबू से ले लो !
सुन्नर बाबू इतना सुनते ही जमी बर्फ की तरह तुरंत पिघल गए |मिमियाते हुए बोले क्यों नहीं सर |जेब से सौ का नोट निकालते हुए रमेश चपरासी के देते हुए बोले :-सुनो ,चाय के साथ गरम समोसे भी लेते आना ,और बाकी तुम रख लेना |
रमेश के जाते ही बोले जिग्नेश जी:- साहब ये क्या पत्र दे दिया सुन्नर बाबू को ,जब से मिला है सुगर बढ़ गया है इनका |अरे साहब अब आप जैसे दयालू अधिकारी के रहते किसी कर्मचारी पर कार्यवाही हो,नौकरी पर बन आये ये ठीक तो नहीं?
  जवाब तो देना पड़ेगा !आज का नहीं है मेरे आने के पहले की इन्क्व्यारी है ,अब तक तो जवाब दे देना चाहिए इनको ?जे डी साहब ने डाटते हुए कहा |
  इस बार सुन्नर बाबू बोले :-अब क्या बताये सर ,पहले वाले जे डी साहब के कहने पर मैंने ए जी ऑफिस का खर्चा–पानी कम कर दिया ,बस लगा दिया आब्जेक्शन !जो काम हजार में होता वो लाखों में चला गया |पूछ ताछ जो हुई अलग |किसी तरह हाथ –पैर जोड़ के मामला दबाया |अब जे डी साहब चले गए ले दे के बचे हम |
   जो पूछा गया था उसका जवाब देना चाहिए आप को ?आप तो पैसा कमाने में लगे रहे ,सोचा जो होगा जेडी का होगा ,आप को कौन पूछेगा ?जेडी साहब एकदम फायर थे |
रमेश तीन कप चाय और समोसा रखकर चला गया |
  लीजिए सर जिग्नेश बाबू ने कहा |जेडी साहब के समोसा उठाते ही ,जिग्नेश ने फिर कहा :-जाने दीजिए सर गलती हो गई ,मॉफ कर दीजिए !
समोसा खाते हुए जेडी साहब ने एहसान करते हुए कहा :-ठीक है,दो काम करिये सुन्नर बाबू |पहला मेरे घर एक विंडों ए सी लगवा दीजिए ,दूसरा धरम जी से मिल के इसका जवाब बनवा लीजिए |उनको ऐसे मामलों का बहुत अनुभव है |देखिएगा आप के सीनियर हैं |ज़रा अदब से |
जहरीली मुस्कान देते हुए सुन्नर बाबू बस “जी” कह सके |
समोसा खाइए ,बहुत टेस्टी है |सुन्नर बाबू को इशारा करते हुए बोले जेडी साहब |
खून का घूँट पी कर रह गए सुन्नर बाबू |जिग्नेश जी से नज़ारे मिली तो मन का मलाल चेहरे पर आने वाला ही था कि इशारा किया जिग्नेश जी ने चलने का |
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तीन पैग पीने के बाद चौथे पैग के लिए इशारा किया धरम जी ने तो जिग्नेश जी ने मना कर दिया |नहीं बिलकुल नहीं धरम जी ,अब एक पैग भी नहीं |
  सुन्नर बाबू लडखडाती जुबांन में बोले:- अरे लेने दीजिए जिग्नेश जी काहें मना कर रहे हैं आज इन्हीं की वजह से मामला रफा-दफा हो गया साला |
खुद ही चौथा पैग बनाते हुए बोले धरम जी :-लेकिन तुम भी बहुत कुत्ती चीज नहीं हो सुन्नर ,सौ हरामी मरे होंगे तो तुम पैदा हुए होगे ?
  हराम का चिकन टिक्का खाते हुए बोले जिग्नेश जी :-धरमजी एक बात पूछूं ,झूठ मत बोलिएगा ,दारु पीने वालों का एक ईमान होता है ध्यान रखिएगा ?
             धरम जी ने सहमती में सर हिला दिया |
   आप ने ही जेडी साहब को कहा था न सुन्नर की जाँच के लिए ?जिग्नेश ने एक घूँट लेते हुए कहा :-
,सुन्नर के गले में बाहें डालते हुए धरम जी बोले :- देखो भाई,मेरी तुमसे कोई जाती दुश्मनी तो है नहीं ,तुमने मुझे उस दिन बोला था कि तुम मुझे परेशान करोगे ,मेरी पेंसन के पेपर नहीं बनने दोगे! तो मैंने भी…..(और खिखिया के हँस दिए धरम जी )
    आप भी कम बड़े वाले नहीं हैं जिग्नेश जी ने मर्यादा का ख्याल रखते हुए कहा |खैर चलिए अब सब ठीक हो गया तो कोई बात नहीं |
      सुन्नर इतना सुनते ही इमोसनल होते हुए बोले:- बात क्यों नहीं जिग्नेश जी इस माधर ,,,,(जुबां संभाल के सुन्नर; जिग्नेश जी ने टोका ) मेरा मतलब इनकी वजह से मेरा तीस हजार का चुना लग गया ,और ये पार्टी अलग से बोनस में लेली आप लोगों ने |
धरम जी बोले :-जिग्नेश जी समझाइये इसे सस्ते में निपट गए ,वरना जो केस था इनका लाखों खर्च करते !
     जिग्नेश जी के अन्दर का शिक्षक जागा उठा :-सुन्नर ,धरम जी से मॉफी मागीए|आप से बड़े हैं |
     सुन्नर ने हाथ जोड़ा ही था कि धरम जी ने गले लगा लिया |
                                                                             #
    आईये तिवारी जी ,लगता है सबको प्र्तिन्युक्ति पर भेज कर मानियेगा ?शुक्ला जी ने प्रश्न किया |
हँसते हुए तिवारी जी बोले :- नहीं भाई ऐसा क्यूँ  कहते हैं ?हमने तो किसी को जबरदस्ती नहीं किया ,अब जो जाना चाहता है उसे कौन रोक सकता है !
    धरम जी कह रहे हैं खुला हुआ रेट है ;नो आब्जेक्शन तैयार |  शुक्ला जी ने पुन:प्रश्न किया |
    कुटिल मुस्कान छोड़ते हुए तिवारी जी बोले :-अब धरम जी कह रहें हैं तो कुछ तो सच्चाई होगी ;अब आप ही बताइए जो लोग अपना विभाग छोड़ कर दूसरे विभाग में कम ग्रेड पे पर जा रहें हैं तो ,वहां कोई तीर्थ करने जा नहीं रहे ?आप भी जानते हैं माल कमाने जा रहे हैं |अब जब जा ही रहें हैं तो हमने कौन सा गुनाह किया है ,पार्टी-सार्टी मिठाई के लिए खर्चा-पानी तो देना ही पड़ेगा ?आखिर हस्ताक्षर के सिवा हैं ही क्या अपने पास !और खिलखिला के हँस दिए तिवारी जी |
     शुक्ला जी जैसे ही उठे किसी काम के लिए ,धरम जी अपनी पूरी तेल की शीशी खत्म करते हुए तिवारी जी से बोले :-
सही कहा आपने कितनो का भला कर दिया ,हर जनपद में लोग आप का नाम लेते हैं| पैसा रुपया तो हाथ की मैल है ,इधर आया उधर खर्च हो गया ,पर आदमी का काम बोलता हैं ,जो जीवन भर याद रहता है ;ये बात अलग हैं कि बात अच्छी है या बुरी !
     तेल काम कर रहा था |तिवारी जी अब गिले हो रहे थे ,नहीं ये तो हमारा फर्ज है| जो बन सकता ,जरूर करता हूँ |
धरम जी ने मौके की नजाकत देख पासा फेका :-अच्छा एक काम हमारा भी करवा दीजिए ,आपकी तो ऊपर तक पहुँच है ,आप अगर चाहेंगे तो चुटकी बजाते हो जाएगा !
     मन गीला होने की वजह से बात सही जगह जा चीपकी |हाँ-हाँ क्यूँ नहीं बोलिए ,तिवारी जी ने बड़क्पन दिखाया |
बस एक छोटा सा काम है ;धरम जी ने लपेटा :-अरे अपने सुन्नर बाबू हैं आप से सीधे कह नहीं पा रहे थे,हैं क्या कि आप की बड़ी इज्जत करते हैं ,डरते हैं आप से, जनपद कुशीनगर में ट्रांसफर चाहते हैं अपना |खर्चा-पानी कुछ दे देंगे ?
     बस इतना सा काम है ,चलिए आप कहते हैं तो, हो गया समझिए !तिवारी जी एकदम तेलिया गए थे |लेकिन एक बात करिएगा धरम जी,लेनदेन का मामला आप ही निपटा दीजिएगा |इस लिए की अब सुन्नर हमारी इज्जत बहुत करता हैं तो उससे लेते ठीक नहीं लगेगा |
धरम जी की तो मन की मुराद पूरी हो गई ;क्या बात करते हैं तिवारी जी हम तो खुद यही कहने वाले थे ,बिलकुल नहीं कानों-कान किसी को खबर नहीं लगना चाहिए |आखिर भरोसा भी कोई चीज होती है !
    आर्डर मिलते ही सुन्नर बाबू सीट से उछल पड़े |बिना मौसम के ट्रांसफर आर्डर ,हमने तो किसी से कहा नहीं था ,वो भी साला कुशीनगर ? 
अजयश्री
अजयश्री
बागीश भवन ,424 /A-11 वैशाली एन्क्लेव ,सेक-9 ,इंदिरा नगर , लखनऊ-22 60 16 ,मो-94150175 98
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