ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
जिगर मुरादाबादी जी की ये पंक्तियाँ आज के प्रेमियों के लिए लिखी गयीं हैं। जिनको मुहब्बत पाने के लिए हर कदम ऐसे रखना पड़ता है मानो कोई सैनिक युद्ध स्थल में रखता है। एक गलत कदम और माइंस फटने का खतरा। इस इश्क के मैदान में जेब और कलेजा दोनों मजबूत ना हुए तो बन्दा पहले कदम पर ही धराशायी हो सकता है फिर ये तो सात कदम हैं। सात फेरों के बिना शादी अधूरी है और इन सात क़दमों के बिना मुहबब्त अधूरी है।
चौदह फरवरी को इश्क करने वालों का सबसे बड़ा त्यौहार होता है। ये त्यौहार पूरी दुनिया में धूम धाम से मनाया जाता है। उम्र या जाति को कोई बंधन नहीं दिल जवां होने से ही काम हो जाता है। इस त्यौहार बहुत से दिलों की तमन्नाएँ पूरी होती हैं । हर बाजार और दुकान पर बस प्रेम ही प्रेम सजा होगा। ऐसा लगता है मानो दिल ही दिल बिकाऊ है । हर तरफ लाल रंग के दिल ।

सात फरवरी से इस विश्वप्रसिद्ध त्यौहार का आगाज पुष्प प्रदान करके शुरू होता है । इस पुष्प अर्पण से लक्ष्य की दशा और दिशा तय होती हैं । ये कुछ हेलो टेस्टिंग टाइप है  यदि गुलाब का फूल स्वीकार कर लिया गया तो मामला अगले पड़ाव पर जायेगा वर्ना बैकअप प्लान तैयार है और दस एक्स्ट्रा गुलाब भी बस देवता बदल जायेगा।
गुलाब के अगले दिन ही बढ़िया सा गिफ्ट या ऊँगली में अंगूठी डाल प्रपोज़ कर दिया जाएगा और ऊँगली के रस्ते पौंचा पकड़ने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ जायेगा। हर शुभ काम से पहले मुहँ मीठा कराना जरुरी होता है और प्रेम से ज्यादा शुभ तो कुछ हो ही नहीं सकता। सो चोकलेट अर्पण की जाएगी। अब लड़की का मुहँ मीठा तो हो गया उसके दिल में मुहब्बत के तारों में करेंट पूरा दौड़े इस लिए अगला अटैक उसके दिल पर होगा और आजकल की लड़कियों का दिल सबसे जल्दी टेड़ी बियर देखकर खुश होता है ।टेडी पा लड़की दिल ख़ुशी से बेकाबू हो जायेगा और वो लड़के संग आगे बढ़ने का वादा कर डालेगी तो मन गया प्रोमिस डे। अब जब लड़की ने वादा कर ही लिया तो लड़के का भी फर्ज हो जाता है कि लड़की को प्यार का अहसास दिलाया जाए जो कुच्ची पुच्ची कर वो हग डे और किस डे को पूरी लगन और इमानदारी से सम्पन्न करेगा।
 पूरी मेहनत और लगन से सारे पड़ाव पार करके फ़ायनल राउंड तक पहुँच यज्ञ में पूर्णाहुति डाल यग्य समापन घोषित किया जाएगा। पढ़कर भले ही बड़ा आसान लग रहा हो पर असल में ये किसी चुनौती से कम नहीं जितनी मेहनत किसी को एवरेस्ट पर चढ़कर झंडा लगाने में लगती है उतनी ही मेहनत और लगन से एक एक कदम संभल संभल कर रखने पड़ते हैं एक भी कदम चूका तो बन्दा कई हजार फुट गहरी खाई में गिर सकता है ।
चेतावनी – कृपया दिल और कदम दोनों संभाल कर रखें ।।
इश्क के इस खेल में जेब को तो वैसे भी पेचिश हो चुकी होती है।

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