इन दिनों हम हीन भावना का शिकार हो गए हैं। कोरोना से तो हम उबर आए पर इस हीन भावना से उबरने के आसार नहीं दिखते । जब भी फ़ेसबुक खोलते हैं जान पहचान के किसी न किसी शख्स का ये मेसेज सामने आकर हमारी खिल्ली उड़ाता महसूस होता है, “मेरा अकाउंट हैक हो गया है यदि कोई मेरे अकाउंट में आपसे कुछ रुपए मांगे तो मत दीजियेगा” ये मेसेज पढ़ते ही हम तुरंत अपने इनबॉक्स की तरफ लपकते हैं और हसरत भरी नजर डालते हैं कि आज तो किसी ने हमसे जरूर रुपयों की मांग रखी होगी और हर बार निराशा ही हाथ लगती है।
माना कि corona के आने के बाद से ही पतिदेव और बेटे की तनख्वाह आधी आ रही है और मकान की किश्त पूरी जा रही है । बढ़ती महंगाई ने हमारी जेब को मरणासन्न अवस्था में लाकर छोड़ दिया है । गैस और पेट्रोल की तो बात तक करने लायक हैसियत नहीं रह गई हमारी । थैले में रुपए लेकर थैली में सब्जी लानी पड़ रही है पर कम से कम हैकर से तो इस बेइज्जती की उम्मीद नहीं थी ।
हम दे नही सकते तो क्या हमें यूं गरीबी का अहसास कराना बेदर्दी नहीं है ? बाकी लोगों की नजर में हम फुकरे हैं पर हैकर वे तो भेदभाव नहीं करते। वे तो हर मासूम को शिकार बनाते हैं । हमारी मासूमियत पर भी दया न आई कमबख्तों को, हम उन्हे फ़ेसबुक पर कोसने का कार्य निपटा ही रहे थे कि जान पहचान के लेखक जी की आई डी से मेसेज आया हैलो
हमने भी ‘नमस्कार सर’ लिख दिया
सर नहीं हैकर हूँ उधर से जबाब आया
हमारी बाँछे खिली, दिल में लड्डू फूटे अब तो ये पक्का दस बीस हजार मांगेगाहम कुछ बोलते तब तक उसका मेसेज चमका…
“तुम कोसना बंद करो आजकल धंधा वैसे ही मंदा चल रहा है”
“हमसे तो कभी न पैसे मांगे न हमारी आई डी हैक की.. क्या इत्ते गए गुजरे हैं हम?” हमने भी अपनी बात फटाक से धर दी.
“हा हा हा हिन्दी लेखिका हो प्रोफ़ाइल पढ़ लिया है हमने” वो हंसा
“तो ?”
“हिन्दी लेखक से मांगना हमारी कंपनी की पॉलिसी नहीं है, उसकी जेब की हालात सबको पता है, फ्री में लिखता है और रुपये देकर किताब छपवाता है,अपनी जेब से डाकखर्च करके लोगों को भेजता है और तो और समीक्षा तक कराने के पैसे देता है । हिन्दी लेखक तो अपनी मेहनत का पैसा मांग भी ले तो पब्लिक जुलूस निकाल देती है । जो पहले ही मरा है उसका क्या शिकार करें? लेखक के दोस्त भी लेखक ही निकलते हैं तो हैक करके भी कुछ हाथ नहीं आता..” वो एक साँस में बोल गया और हम अपना सा मुहँ लिए हिन्दी दिवस पर होने वाले ऑनलाइन कार्यक्रम की तैयारी में जुट गए।