तीन कविता संग्रह, दो कहानी संग्रह, दो बाल साहित्य, दो आलोचना संग्रह, 40 से अधिक पुस्तक अनुवाद, धारावाहिक ध्वनि रूपक एवं नाटक, रंगमंच नाटक लेखन, 20 से अधिक चुनिंदा पुस्तकों में संकलित रचनाएँ, बतौर रेडियो नाटक कलाकार कई नाटकों में भूमिका. विभिन्न उच्चस्तरीय पत्रिकाओं में सतत लेखन. सत्यवती कॉलेज,दिल्ली में अध्यापन. सम्पर्क -
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सूर्यास्त के बेहतरीन सौंदर्य वर्णन के साथ आपने कहानी का प्रारंभ किया है आरती जी!. प्रारंभ ही बेहद खूबसूरत था। फिर वही सौंदर्य क्रमश: आगे गोधूलि बेला का रहा। पंत की तरह प्रकृति के चितेरे आपको भी कहा जा सकता है इस रचना के लिये।
कहानी में जिन बातों ने अधिक प्रभावित किया-
*”सच्चा इन्सान सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने आपसे नज़र मिला सकने योग्य बना रहना चाहता है|”*
*”दिल से जुड़े संबंध सहज होते हैं| वहाँ इंसान बिना गार्डेड हुए खुलकर जीता है|”*
*“जीवन में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं – होने चाहिए जहाँ इंसान खुलकर जी सके, बात- बेबात खिलखिलाकर हँस सके; जहाँ वह ख़ुद को सहज अनुभव कर और करा सके| इसका यह अर्थ कतई नहीं होता कि वह विचारवान नहीं, संवेदनशील नहीं, प्रज्ञाविहीन सतही व्यक्ति है| इसका यह भी अर्थ नहीं कि दृष्टिकोण के विस्तार में संकुचन आ गया| एक व्यक्ति जीवन के विशेष पड़ाव पार करता हुआ आगे बढ़ता है और वह जीता सिर्फ़ आत्मिक पलों को है।”*
*स्नेहिल संबंध की कोई उम्र नहीं होती| मुझसे तीन-चार दशक बड़े भी मुझसे सहज संबंध जोड़कर ख़ुश रहे| उनकी सहजता मैने कभी नापने की कोशिश नहीं की| सहज व्यवहार बंद परतों को खोलता है और अनायास नहीं, धीरे-धीरे दुनिया को देखने–समझने की परिपक्वता बढ़ जाती है क्योंकि वहाँ खुलकर तर्क की गुंजाइश रहती है| किसी बिंदु पर बहस और विमर्श अलग-अलग कोण से विषय को देखने–समझने के लायक दृष्टि को विस्तार देता है| वे छोटी-छोटी बातें जो बड़ों के लिए सामान्य होती हैं, हमारे लिए सीख बन जाती हैं| अंतरंग संबंध आसमान हो जाता है—स्वच्छ, पारदर्शी और निष्कलुष| बशर्ते यह एकतरफ़ा न हो|”*
*“ईश्वर के प्रति समर्पण का बीज अखंड विश्वास या आस्था में होता है | ईश्वर के प्रतीक के सामने हम बिलकुल सहज होते हैं; बिना गार्डेड हुए, बिना सजगता और नाप-तोल के अपनी प्रार्थना के दीप जलाते हैं… जबकि देखा उन्हें भी नहीं है| माता-पिता, भाई-बहन, स्कूल- कॉलेज के मुट्ठी भर दोस्तों के साथ भी ऐसा ही संबंध होता है| जीवन संबंध की सुगंध को यहीं क़ैद नहीं करता| इस राह पर कुछ राहगीर कुछ समय के लिए मिलकर भी हमेशा के लिए दिल में अपनी जगह बना लेते हैं|“*
किसी भी कहानी के इतने उदाहरण हमने कभी टिप्पणी में नहीं रखे। पर आप की कहानी थोड़ी अलग है यहाँ जितने भी उद्धृत कथ्य हैं, यह वास्तव में समझने की बात है सभी के लिये ।
पूरी कहानी को पढ़ने के बाद शीर्षक की महत्ता समझ में आती है कि वास्तव में *रहिमन धागा प्रेम का* शीर्षक इसके लिए बिल्कुल सटीक था।
आपकी कहानी आपके मंतव्य की गहराई को प्रस्तुत करने में सफल रही। यह आपकी लेखिकीय बौद्धिकता और उत्कृष्ट वैचारिकता का प्रतीक है।
एक बेहतरीन कहानी के लिए आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ आरती जी!
हार्दिक आभार नीलिमा जी!
कमाल की कहानी है रश्मि जी । कभी-कभी ही पढ़ने को मिलती हैं ऐसी कहानियाँ। कहानी दो तरह की होती हैं। एक जमीनी धरातल पर लिखी हुई कहानी, दूसरी मानसिक धरातल पर लिखी हुई कहानी। आपकी यह कहानी दोनों धरातलों पर लिखी गई है और शायद इसीलिए इसका स्तर खुद ब खुद उठ गया है। बहुत कुछ कहती हुई समसामयिक कहानी है। अपने कहानी में संवेदना जागृत करने के लिए प्रकृति का बहुत ही सुंदर प्रयोग करा है। बधाई स्वीकारें।
कमाल की कहानी है आरती स्मित जी । कभी-कभी ही पढ़ने को मिलती हैं ऐसी कहानियाँ। कहानी दो तरह की होती हैं। एक जमीनी धरातल पर लिखी हुई कहानी, दूसरी मानसिक धरातल पर लिखी हुई कहानी। आपकी यह कहानी दोनों धरातलों पर लिखी गई है और शायद इसीलिए इसका स्तर खुद ब खुद उठ गया है। बहुत कुछ कहती हुई समसामयिक कहानी है। अपने कहानी में संवेदना जागृत करने के लिए प्रकृति का बहुत ही सुंदर प्रयोग करा है। बधाई स्वीकारें।
हार्दिक आभार नीलम जी!
क्षमा चाहती हूं आरती जी लिखने में आपका नाम गलत टाइप हो गया था।
नीलम जी, बहुत-बहुत शुक्रिया!
नीलम जी, बहुत-बहुत शुक्रिया!