होम कविता किरण सूद की तीन कविताएँ कविता किरण सूद की तीन कविताएँ द्वारा किरण सूद - June 7, 2020 79 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 1 साझा है जीवन ये धरा ये आसमान साझा है सबका क्यों नहीं सीखता तू मानव साझीदारी का गुण सूत्र जिओ और जीने दो यह सबक इक छोटा सा सीखे तू गर जीवन चक्रवत गाए अविराम अपनी धुन यह मत कर अभिमान कि तू स्वामी ब्रह्मान्ड का या तुझसे चालित है यह अपार संसार परिपूर्ण एक नियम धरा का घूम कर अपनी धुरी पर करे परिक्रमा अपने सूरज की न हो कभी पथ विचलन सीखना ही है जीवन क्रम चल अपनी राह पथिक तेरे मितवा तेरे सजन करें मनुहार हो नित प्रेमालिंगन 2 प्रतिपल साँस की मानिंद संग चलने वालों की बात है कुछ और दुःख से परे जीवन भरपूर जीने की सुगन्ध ज्यों आम का बौर गगन बिछी सौदामिनी की मानिंद मेरे हृदय बसे चितचोर 3 दौड़ का दौर बदला सा है कुछ यूँ कि शायद धुँए से दम्भ का सिर थका हो मुँह नाक हाथ ढका सा है कुछ यूँ कि शायद पैसा पैसा करते खुद ही बिका हो आइना भी इन्तज़ार में रुका सा है यूँ कि शायद सफेदी छुपाकर कोई स्याह हो चुका हो नज़र चुराने वाले परदाफ़ाश हों यूँ कि आज मुनाफ़ा भी मुनादी का सबब बन टिका हो संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. हर्षा त्रिवेदी की तीन कविताएँ प्रेमा झा की कविता – माँ रश्मि विभा त्रिपाठी की कविता – सपने कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.