Friday, May 17, 2024
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चंद्र मोहन की कविताएँ

1 – श्रम के जीवित शब्द
एक कवि
बहुत दिन तक
जिंदा
रह
सकता है
कविता के बिना
लेकिन
जरा सोचें
खेतों में जो
श्रम के जीवित शब्द होते हैं
उसके बिना
कवि
आखिर कितना दिन तक
जिंदा रह सकता है।
2 – तुमने पौधों में पानी नहीं दिया था
तुमने पौधों में पानी नहीं दिया था
इसलिए इतनी उदासियां हैं तुम्हारे बगीचे में
प्यार के लायक़ तुम तो नहीं
पृथ्वी के गायक तुम तो नहीं
जाओ तुम और गेहूं के खेत में पेट के बल रो कर आओ
जाओ तुम और हंसुए के दांत से और हाथ काटकर आओ।
3 – युद्ध
युद्ध
खत्म
कर देता है
खेतों की संभावनाएं
नागरिकों को
निर्वासन में भेज देता है
स्त्रियों को यातना देता है
बच्चों को सताता है
गरीब श्रमिक को
भूखा मारता है
युद्ध की खेती
कोई अच्छी खेती नहीं
पूंजीपतियों की कमाई है
इसे रोको बंद करो अतिशीघ्र।
चंद्र मोहन
चंद्र मोहन
हिन्दी की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित। और प्रतिष्ठित वेबसाइटों पर भी।, पता -खेरोनी कछारी गांव कार्बी आंगलोंग (असम) मोब. 9365909065
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