Wednesday, October 16, 2024
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शैली की कविता – मौत पर विमर्श : पाँच रूप

1.
क्यों है ये धरती क्यों है ये जीवन?
क्यों बना मनुष्य क्या है इसका मतलब?
क्यों नहीं संचालित कीड़ों मकोड़े की तरह
एक मात्र शरीर की भूख प्यास और साँस बन कर
क्यों मिला मस्तिष्क क्यों बनायीं भावनायें
जब इनका कुचला जाना है निश्चित
घुटती है साँस हर पल जीना होता है मुश्किल
फिर भी मौत नहीं आती राह देखते हर पल
2.
वाह रे भारत की जनसंख्या,
भीड़ और गाड़ियाँ
आधा जीवन जाम में कटता
डीज़ल-पेट्रोल फूँक-फूँक
रोगी फेफड़े, हवा दूषित
मरते कई खून थूक-थूक
सड़क हादसे में
रेल-फाटक में जबरन घुस के
मरते हैं लोग टूट-फूट
3.
चाँद जाता है तो सूरज आता है,
आसमान कब खाली रहता है?
जो भी आया है, उसे जाना है
प्रकृति के नियम से कौन नहीं जानता है?
अमर कोई होता नहीं,
इसका कोई फ़ायदा नहीं
अश्वत्थामा अमर है,
क्या उसकी बहुत क़दर है?
मौत तो आयेगी जब उसे आना है
उससे बचाव के लिए
ऐसा क्या हड़बड़ाना है?
4.
मौत भी अजीब खेल खेलती है
जिन्हें जीना पसंद है उन्हें ले जाती है
जो जिन्दगी झेलते हैं
उन्हें छोड़ जाती है…
5.
चाकू की धार में, खंजर की चमकार में, दुधारी करवाल में…
अजीब सी जज़्बीयत रहती है
शेर की छलांग में, साँप की फुफकार में, हाथी की चिंघाड़ में..
विचित्र सा सम्मोहन होता है,
तलवार की झपक में, आग की लपट में, ज़हर की धधक में…
नामालूम सी कशिश होती है,
खींचे हुए तीर में, कसी ज़ंजीर में, दरकती शहतीर में…
बर्बर सा खिंचाव होता है
सागर की गहराइयों में, चोटी की ऊँचाइयों में, फिसलती चट्टानों में…
अजीब ही दिलकशी होती है,
रस्सी के फंदे में, खूनी दंगे में, सधे तमन्चे में…
उन्मत्त सा लुभाव होता है,
मानसिक उन्माद में, नशे के ख़ुमार में, क्रोध के उबाल में…
अबूझ सा संकर्षण होता है,
डूबते दिल में, उखाड़ती साँस में, जीवन के अवसान में…
अपूर्व सा वशीकरण होता है…
मृत्यु का एक अलग आकर्षण होता है !!!
मृत्यु का एक अलग आकर्षण होता है !!!
शैली
शैली
सम्पर्क - [email protected]
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2 टिप्पणी

  1. अतीव सुंदर दृष्टिकोण… मृत्यु सदैव सुंदर है… आपकी अनुभूति एवं चिंतन को नमन अत्यंत सुंदर पुनः बधाई

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